उतराखंड, रुद्रप्रयाग के रहने वाले एमएमए (मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स) फाईटर अंगद बिष्ट ने चीन में आयोजित रोड़ टू यूएफसी एमएमए में जीत दर्ज की। उनकी इस जीत से एमएमए पसंद करने वाले लोगों में खुशी की लहर छा गई।
उतराखंड के पर्वतीय जिले रुद्रप्रयाग के रहने वाले अंगद बिष्ट ने अपनी मेहनत और लगन से एमएमए (मिक्स्ड मार्शल आर्ट्सद्) के अंतर्राष्ट्रीय मंच पर उत्तराखंड का नाम रोशन किया है। मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे अंगद मेडिकल की पढ़ाई के लिए देहरादून आए थे लेकिन किस्मत को तो कुछ और मंजूर था और आज वह जिस मुकाम पर हैं, उनके परिवार को नहीं बल्कि पूरे प्रदेश को उनपर गर्व है। आपको बता दें अंगद बिष्ट फ्लाईवेट कैटेगरी में वर्ल्ड चौंपियन हैं।
मेडिकल की पढ़ाई से एमएमए तक का सफर
अंगद का सपना डॉक्टर बनने का था। वह देहरादून में मेडिकल की पढ़ाई के लिए कोचिंग ले रहे थे और इसी के साथ उन्होंने जिम जाना भी शुरू कर दिया। उन्होंने मेडिकल डेंटल सर्जरी का टेस्ट क्लियर कर लिया था और पंतनगर मेडिकल कॉलेज में उन्हें सीट भी मिल चुकी थी। वह मेडिकल की पढ़ाई के लिए अपना मन बना चुके थे लेकिन तभी उन्हें आभास हुआ कि उन्हें डॉक्टर नहीं फाइटर बनना है।
घर से छुपा कर लड़ी पहली फाइट
अंगद ने बताया कि फाइटर बनने के शुरुआती दौर में उन्होंने अपने परिवार वालों को इसके बारे में नहीं बताया था। उन्होंने मेडिकल की कोचिंग दोबारा करने की बात घर पर कही, जिस पर उनके परिजन मान गए और वहा दिल्ली चले गए। वहां जाने के बाद उन्होंने पार्ट टाइम जॉब की और बिना किसी को बताए अपनी पहली अमेचर फाइट लड़ी। उन्होंने उस फाइट को जीता और साथ ही चोटिल भी हुए थे। जिसके बाद उनका हौसला बढ़ा और फिर अंगद ने दिल्ली, बेंगलुरु और मुंबई में मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग ली।
देहरादून में शुरू किया म्यूटेंट एम.एम.ए. एकेडमी
उत्तराखंड के युवाओं को मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स में प्रतिभाशाली बनाने के लिए अंगद बिष्ट देहरादून में म्यूटेंट एम.एम.ए. एकेडमी चलाते हैं। उनसे कोचिंग लेने के लिए देशभर के फाइटर देहरादून आते है। वह महिला फाइटरों को भी कोचिंग दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि पहाड़ के युवाओं का स्टेमिना और बॉडी स्ट्रक्चर काफी मजबूत होता है, उन्हें बस अच्छी कोचिंग जरूरत है।