मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को मालसी, देहरादून स्थित एक होटल में उत्तराखण्ड जैविक उत्पाद परिषद द्वारा आयोजित कार्यशाला में प्रतिभाग किया और कहा कि केंद्र और राज्य सरकार द्वारा उत्तराखण्ड को “जैविक राज्य“ के रूप में पहचान दिलाने के लिए प्रभावी पहल की जा रही है. उन्होंने कहा कि प्रदेश को जैविक कृषि के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए “इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ ऑर्गेनिक एग्रीकल्चर मूवमेंट“ (IFOAM) जैसी अंतर्राष्ट्रीय संस्था के सहयोग से “आर्गेनिक कार्यशाला“ का आयोजन निश्चित रूप से समृद्ध उत्तराखण्ड निर्माण की संकल्पना को सार्थक करने का एक उत्कृष्ट माध्यम बनेगा. केंद्र और राज्य सरकार द्वारा उत्तराखण्ड को “जैविक राज्य“ के रूप में पहचान दिलाने के लिए प्रभावी पहल की जा रही है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में जैविक कृषि के साथ-साथ प्रधानमंत्री श्री मोदी की महत्वाकांक्षी योजना “प्राकृतिक कृषि“ को भी वृहद स्तर पर संचालित करने की योजना पर कार्य किया जा रहा है. जिसमें प्रथम चरण में इसी वर्ष से 6400 हेक्टेयर क्षेत्र में “प्राकृतिक कृषि“ की कार्ययोजना को स्वीकृत किया जा चुका है.
कृषि मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि उत्तराखण्ड में जैविक खेती को तेजी से बढ़ावा देने के उद्देश्य से इस कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। विषय विशेषज्ञों द्वारा फील्ड भ्रमण कर राज्य में हो रहे जैविक खेती के तरीकों का जायजा लिया जायेगा। जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए और क्या प्रयास हो सकते हैं, इसके बारे में भी कार्यशाला में व्यापक स्तर पर चर्चा होगी। उन्होंने कहा कि राज्य में जैविक खेती के प्रति लोगों का रूझान बढ़ रहा है। कृषि मंत्री ने कहा कि उन्होंने अपने यूरोप भ्रमण के दौरान जैविक खेती के तौर तरीकों को देखा। राज्य में इसे तेजी से बढ़ावा देने के लिए IFOAM के साथ एमओयू किया गया है।
इस अवसर पर सचिव कृषि बी.वी.आर.सी पुरुषोत्तम, निदेशक राष्ट्रीय जैविक एवं प्राकृतिक खेती डॉ. गगन शर्मा, IFOAM के अध्यक्ष गबौर फिगैक्सकी, सीनियर मैनेजर पैट्रीसिया फ्लोरेस, कृषि निदेशक गौरी शंकर एवं कृषि विभाग के अन्य अधिकारी उपस्थित थे।