राज्यपाल ने विधेयक लौटाने की वजह संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लघंन माना था। प्रदेश सरकार ने खामियां दूर करके विधेयक को दोबारा राजभवन भेजने की तैयारी की, लेकिन इससे पहले कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल की अध्यक्षता में मंत्रिमंडलीय उपसमिति बनाई।
राज्य आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने के लिए प्रदेश मंत्रिमंडल ने फैसला तो कर लिया, लेकिन फिलहाल इसकी राह में विधायी का पेंच फंस गया है। कैबिनेट की मंजूरी के बाद क्षैतिज आरक्षण से संबंधित संशोधित विधेयक को गैरसैंण विधानसभा सत्र के दौरान सदन पटल पर नहीं लाया जा सका।
विधायी मामलों के जानकारों का मानना है कि विधेयक को सदन की मंजूरी के बाद ही राजभवन भेजा जा सकता है। राज्य आंदोलनकारी सम्मान परिषद के पूर्व अध्यक्ष रविंद्र जुगरान ने प्रदेश सरकार से विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का अनुरोध किया है। बता दें कि मुख्यमंत्री के अनुरोध पर आंदोलनकारियों के क्षैतिज आरक्षण का विधेयक राजभवन से लौटा था।