कम बारिश होने से बिजली की मांग में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। पहली बार बिजली की मांग 55 मिलियन यूनिट पहुंच गई है। राज्य, केंद्रीय पूल व अन्य माध्यमों से ऊर्जा निगम को 46.06 मिलियन यूनिट उपलब्ध हो पा रही है।
ऐसे में करीब नौ मिलियन यूनिट की कमी अब भी बनी हुई है, ऐसे में शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की और कटौती हो सकती है। बिजली की मांग व उपलब्धता में अंतर होने के चलते ऊर्जा निगम की ओर से मौजूदा समय में शहरी क्षेत्रों में डेढ़ से दो घंटे जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में चार से पांच घंटे बिजली कटौती की जा रही है।
राष्ट्रीय एक्सचेंज से भी पर्याप्त बिजली नहीं मिल पा रही है, जिसके कारण बिजली आपूर्ति सुचारु रखने के लिए ऊर्जा निगम को हाथ-पांव मारने पड़ रहे हैं। ऐसे में निगम की ओर से ग्रामीण के साथ शहरी क्षेत्रों में भी बिजली कटौती की जा रही है।
जहां आमतौर पर हर साल इन दिनों 80 से 90 लाख यूनिट बिजली यूजेवीएनएल से मिलती थी, उसका आंकड़ा इन दिनों 50 लाख के आसपास है। इस वजह से 30 लाख यूनिट अतिरिक्त का बोझ यूपीसीएल पर बन गया है। इसके बावजूद यूपीसीएल ने फिलहाल सभी माध्यमों से करीब 4.3 करोड़ यूनिट बिजली का इंतजाम किया हुआ है। इतनी ही मांग भी चल रही है। मई में बिजली की मांग और बढ़ सकती है।
अब इससे आगे जितना भी मांग का आंकड़ा बढ़ेगा, उतना ही यूपीसीएल के लिए चिंता भी बढ़ती चली जाएगी। जितनी भी मांग बढ़ेगी, उतना ही आपूर्ति में परेशानी होगी। बाजार से महंगी बिजली खरीद के अलावा अब यूपीसीएल के पास शॉर्ट टर्म टेंडर का ही विकल्प बचा हुआ है। जानकारों की माने तो अगर मई में 5 करोड़ यूनिट तक मांग पहुंची तो यूपीसीएल को मजबूरन दोबारा कटौती शुरू करनी पड़ेगी।