प्रदेश के लोगों के रहन सहन में सुधार के लिए ईको टूरिज्म की गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए कई स्तरों पर काम किया जा रहा है। इसके तहत जहां जिम कॉर्बेट व उनकी विरासत को नई पीढ़ी से रूबरू कराने के लिए जिम कॉर्बेट ट्रेल को विकसित किया जा रहा है, वहीं देहरादून के चकराता क्षेत्र में 60 किमी के एक जंगल ट्रैक को जीवित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
चकराता वन प्रभाग के तहत 80 के दशक तक जीवित ठडियार-मार्च नेचर हेरिटेज ट्रैक के नाम से प्रसिद्ध जंगल ट्रैक को पुनर्जीवित करने के प्रयास शुरू हो गए हैं। इस संबंध में प्रभागीय वन अधिकारी चकराता कल्याणी की ओर से वन मुख्यालय को 326.44 लाख रुपये का प्रस्ताव तैयार कर वन मुख्यालय को भेजा गया था। मुख्यालय की ओर से संस्तुति के लिए शासन काे भेज दिया गया है।
60 किमी का यह पुराना ट्रैक कनासर-बाबर-मोल्टा-रिखनाड़ राजि के तहत आता है।इस ट्रैक का प्रयोग अभी तक अखिल भारतीय सेवा के प्रशिक्षुओं की ओर से उनके शैक्षिक पाठ्यक्रम के तहत किया जाता है। उम्मीद है कि जिम कॉब्रेट ट्रेल से पहले चकराता ट्रैक शुरू हो जाएगा।
लेकिन ट्रैक बहुत अच्छी स्थिति में नहीं है। ट्रैक को व्यवस्थित करने के बाद इस पर दूसरे प्रकृति प्रेमी, ट्रैकर्स, पक्षी प्रेमी एवं वन्यजीव प्रेमी यहां आकर प्रकृति का आनंद ले सकेंगे।
प्रकृति आधारित पर्यटन को आगे बढ़ाते हुए वन विभाग ने अपना एक्शन प्लान तैयार कर शासन को सौंप दिया है। 60 किमी के इस ट्रैक के विकसित होन से जहां सरकार की आय बढ़ेगी, वहीं स्थानीय समुदाय की आजीविका में भी सुधार होगा। अर्जित आय का 80 प्रतिशत लाभ स्थानीय आबादी, जबकि 20 प्रतिशत लाभ सरकार के खाते में जाएगा। ईको टूरिज्म के तहत यह बेहद महत्वपूर्ण योजना है, जिसे शीघ्र मंजूरी मिलने की उम्मीद है।