उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले की बदहाल स्वास्थ्य सुविधा की एक बार फिर पोल खुल गई। बदहाल व्यवस्था ने एक और नवजात की जान ले ली।
फलसीमा निवासी अंकित आर्या की पत्नी आरती आर्या की जुलाई में प्रसव तिथि थी। परिजनों के मुताबिक शनिवार की तड़के गर्भवती को प्रसव पीड़ा होने लगी।
घर से अस्पताल लाई जा रही गर्भवती ने रास्ते में वाहन में ही शिशु को जन्म दिया। किसी तरह परिजन महिला को लेकर अस्पताल पहुंचे। यहां शिशु को प्रीमेच्योर बताकर बेस अस्पताल रेफर कर दिया गया। एनआईसीयू वार्ड फुल होने से यहां से भी नवजात को हायर सेंटर रेफर कर दिया गया। हल्द्वानी पहुंचने से पहले ही रास्ते में नवजात की मौत हो गई।
नवजात को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। उसे एनआईसीयू की जरूरत थी। परिजन 10 बजे बच्चे को लेकर बेस अस्पताल पहुंचे जहां डॉक्टर ने नवजात का परीक्षण किया। बेस में एनआईसीयू फुल होने पर वहां से भी डाक्टर ने नवजात को रेफर कर दिया।
108 एंबुलेंस में परिजन नवजात को हल्द्वानी ले जा रहे थे। बताया जा रहा है कि रास्ते में ऑक्सीजन खत्म हो गई। भीमताल में ऑक्सीजन सिलिंडर बदला गया। सिलिंडर बदलने में भी काफी समय बर्बाद हो गया। इसके बाद सुशीला तिवारी अस्पताल हल्द्वानी पहुंचे तो डाक्टर ने नवजात को मृत घोषित कर दिया।
अंकित आर्या ने कहा कि बेस अस्पताल में एनआईसीयू वार्ड फुल रहने से नवजात की जान पर बन आई। डॉक्टर ने उनसे कहा कि यदि वह आधे घंटे पहले आते तो वार्ड मिल सकता था। एनआईसीयू के लिए उन्होंने शहर के निजी अस्पतालों के भी चक्कर काटे लेकिन सुविधा न मिलने से मजबूरी में हल्द्वानी ले जाना पड़ा। यदि जिले में स्वास्थ्य सुविधाएं दुरुस्त होती और संसाधन होते तो उनके नवजात की जान बच जाती।