हाईकोर्ट ने उत्तराखंड में सरकारी भूमि से अवैध धार्मिक निर्माण ध्वस्तीकरण के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद निर्णय सुरक्षित रख लिया है।
हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि सरकार एक धर्म विशेष के निर्माणों को अवैध नाम देकर ध्वस्त कर रही है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट में कहा कि धर्म विशेष के खिलाफ की जा रही इस कार्रवाई को तत्काल रोका जाए और मजारों का दोबारा निर्माण करवाया जाए।
मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई।
राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रहे सीएससी चंद्रशेखर सिंह रावत ने बताया कि इससे पहले भी ऐसी ही एक याचिका खारिज की जा चुकी है जिसका इस याचिका में कहीं जिक्र नहीं है।
- पिछले कुछ समय से सरकार अपनी भूमि में बने अवैध धार्मिक स्थलों पर जेसीबी चलाकर उसे ध्वस्त कर रही है। इस क्रम में हरिद्वार, रुड़की, टिहरी के मोलधार, रामनगर, देहरादून, खटीमा, हल्द्वानी, नैनीताल में पहले ही लगभग 300 अतिक्रमण हटाए जा चुके हैं। इसके बावजूद सरकार अभी 400 अन्य अवैध मजारों को हटाने की तैयारी कर रही है।