उत्तराखंड के चार धामों की शीतकालीन पूजा शीतकालीन पूजा स्थलो में निरंतर होती रही है। लेकिन लोगों को इस बारे में जानकारी न होने के कारण श्रद्धालु खुशीमठ , मुखीमठ, ऊखीमठ और जोशीमठ नहीं आ पाते हैं। इन स्थानों मे अधिक से अधिक तीर्थ यात्री आ कर पुण्य अर्चित करें, इसी उद्देश्य के लिए ज्योतिष पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी द्वारा विभिन्न स्थानों की यात्रा की गई।
जहां गरुड वहाँ हरि – स्वामी शंकराचार्य ज्योतिष पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा कि बदरीनाथ भगवान की शीतकालीन पूजा नृसिंह मंदिर में की जाती है। इसमें किसी को भी संशय नहीं होना चाहिए । उन्होंने कहा कि जहां शिव वहां नदी और जहां गरुड़ वहां श्री हरि।
शीतकालीन पूजा स्थलो का हो प्रचार- प्रसार उत्तराखंड के चार धामों की शीतकालीन पूजा शीतकालीन पूजा स्थलो में निरंतर होती रही है। लेकिन लोगों को इस बारे में जानकारी न होने के कारण श्रद्धालु खुशीमठ , मुखीमठ, ऊखीमठ और जोशीमठ नहीं आ पाते हैं। इन स्थानों मे अधिक से अधिक तीर्थ यात्री आ कर पुण्य अर्चित करें, इसी उद्देश्य के लिए lयात्रा की की गई।
चार धाम यात्रा के समापन के बाद स्थानीय पत्रकारों से बात करते हुएशंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा शीतकालीन पूजा स्थलों की जानकारी अधिक से अधिक लोगों को हो इसके लिए सरकार के साथ ही स्थानीय और धार्मिक गतिविधि से जुड़े लोगों को पहल करनी होगी।
धार्मिक स्थलों मे बढ़ रही मानवीय गतविधियाँ- बदरीनाथ और केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद होने के बाद मानवीय गतिविधियां लगातार बदने पर चिंता जताते हुए कहा कि इस पर अंकुश लगाया जाना आवश्यक है । धामों की मर्यादा बनाए रखना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। इसके लिए सरकार, शासन प्रशाशन को कठोर कदम उठाना होगा।
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने बताता कि सम्पूर्ण पैनखंडा के लोगों की लंबे समय से ज्योर्तिमठ में एक अत्याधुनिक सुविधाओं से संपन्न चिकित्सालय की मांग थी। इस दिशा में वे निरंतर प्रयासरत थे। पहले चरण में भूमि चयन की प्रक्रिया पूरी हो गई है ।
इस अवसर पर ज्योतिर्मठ प्रभारी ब्रह्मचारी मुकुंदानंद महाराज, ज्योतिर्मठ के सीईओ चंद्र प्रकाश उपाध्याय, ज्योतिर्मठ के कार्याधिकारी कैप्टन अमरिंदर सिंह, ज्योतिर्मठ मीडिया प्रभारी डॉक्टर बृजेश सती, ज्योतिर्मठ प्रबंधक विष्णु प्रिया नंद, यमुनोत्री मंदिर के रावल अनुरूद उनियाल,पीठ पुरोहित आनंद आदि उपस्थित रहे।