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रुद्रप्रयाग जिला जज हुए निलंबित, उत्पीड़न का लगा आरोप

by Seema Rawat
January 5, 2024
in Uttarakhand
Reading Time: 1 min read
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रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने रुद्रप्रयाग के जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनुज कुमार संगल को निलंबित कर दिया है। उन पर उत्तराखंड हाईकोर्ट का रजिस्ट्रार (विजिलेंस) रहते अपने अधीन कार्यरत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का उत्पीड़न करने का आरोप है। आरोप है कि इस उत्पीड़न से त्रस्त होकर कर्मचारी ने जहर का सेवन कर लिया था। निलंबन की अवधि में वह जिला एवं सत्र न्यायालय चमोली में संबंद्ध रहेंगे।

हाईकोर्ट ने किया निलंबन का आदेश जारी

हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के निर्देश पर रजिस्ट्रार जनरल आशीष नैथानी की ओर से निलंबन आदेश जारी हुआ है। आदेश में कहा गया है कि अनुज कुमार संगल के खिलाफ कुछ आरोपों पर अनुशासनात्मक जांच पर विचार किया जा रहा है। उनके खिलाफ उत्तराखंड सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियम 2003 के नियम 7 के तहत नियमित जांच शुरू की जाएगी इसलिए उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है। अनुज संगल पर आरोप है कि रजिस्ट्रार (सतर्कता) के रूप में अपनी तैनाती के दौरान उन्होंने अपने आवास पर तैनात एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हरीश अधिकारी से गाली-गलौज कर और सेवा से हटाने की धमकी देकर प्रताड़ित किया।

यह बताए आरोप

आरोप है कि कर्मचारी को नियमित रूप से डांट-फटकार कर सुबह आठ से रात 10 बजे तक और उससे भी अधिक समय तक ड्यूटी को लेकर परेशान किया है। कर्मचारी के कार्य समय और कार्य की प्रकृति के संबंध में अपने जवाब 18 नवंबर 2023 में गलत तथ्य बताकर अनुशासनात्मक प्राधिकारी को गुमराह करने का प्रयास किया गया है। शिकायतकर्ता के अर्जित अवकाश की मंजूरी की प्रक्रिया में देरी करके अपने अधिकार का दुरुपयोग किया है। परिणामस्वरूप उसका वेतन समय पर नहीं निकाला जा सका। इस प्रताड़ना के कारण उक्त चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ने तीन जनवरी 2023 को उनके आवास के सामने जहर खाया था।

हाईकोर्ट की टिप्पणी

किसी अधीनस्थ को परेशान करना और सेवा से हटाने की धमकी देना एक न्यायिक अधिकारी के लिए अमानवीय आचरण और अशोभनीय है और उत्तराखंड सरकारी सेवक आचरण नियमावली, 2002 के नियम-3(1) और 3(2) के कदाचार है।
किसी कर्मचारी की छुट्टी स्वीकृत करने की प्रक्रिया में जानबूझ कर देरी करना, उसका वेतन रोकना और गलत व्यवहार करके अधीनस्थ को जहर खाने जैसा कदम उठाने के लिए मजबूर करना भी एक अमानवीय व्यवहार है।
अनुचित प्रभाव का उपयोग करके चतुर्थ श्रेणी कर्मी द्वारा जहर खाने के पूरे मामले को मुख्य न्यायाधीश से छिपाने का प्रयास भी किया गया है।

Tags: Nainital High CourtrudrapryagUttarakhand
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