चमोली जिले के गैरसैंण क्षेत्र के दूधाताेली पर्वत से निकलकर कन्नौज में गंगा नदी के साथ मिलने वाली रामगंगा की उत्पत्ति भगवान श्रीराम के तीर से हुई है। रामगंगा मुरादाबाद होते हुए करीब 500 किलोमीटर के सफर में गंगा में मिलने से पहले लाखों लोगों की प्यास भी बुझाती है।
पानी की तलाश में थे राम
माना जाता है कि रामगंगा का भगवान श्रीराम और सीता माता से करीब का नाता है। मान्यता है कि 14 वर्ष के वनवास के दौरान जब भगवान श्रीराम, सीता माता और लक्ष्मण वन में घूम रहे थे तो सीता को प्यास लगी। लक्ष्मण और श्रीराम ने इस क्षेत्र में पानी की काफी तलाश की, लेकिन उनको कहीं भी पानी का स्रोत नहीं मिला।
यहां से निकली पानी की धारा
इस पर जब वे पानी की तलाश के बाद सीता माता के पास आए तो पानी न देख सीता माता प्यास से व्याकुल हो गई। इस पर भगवान राम ने धरती से पानी निकालने के लिए अपने कृपाण से तीर निकाला और धरती पर छोड़ दिया। तभी वहां से पानी की धारा फूट पड़ी। यही धारा आगे चलकर स्थाई रूप से बहने लगी और इसे रामनाली के नाम से जाना जाने लगा।
मंदिर में भक्तों की भीड़
यहां पर श्रीराम का पशिणिक मंदिर भी है। राम नवमी व अन्य अवसरों पर मंदिर में भक्तों की भीड़ रहती है। मंदिर में श्रीराम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान आदि देवताओं की मूर्ति है। वर्तमान में रामगंगा नदी पर भराड़ीसैंण सहित गैरसैंण के हजारों लोगों की प्यास बुझाने के लिए बांध बनना है और इसका भूगर्भीय सर्वेक्षण भी हो चुका है।