उत्तराखंड में ग्लोबल वार्मिंग का असर अब साफ दिखाई दे रहा है। बारिश का पैटर्न बदला है, दिसंबर-जनवरी के महीने में भी पहाड़ों पर बर्फबारी नहीं हुई। जिसके कारण लोगों को कई परेशानियों को सामना करना पड़ा लेकिन अगर किसी के जीवन में इसका असर सबसे ज्यादा पड़ा वो है किसान, किसान परेशान हैं, मौसम चक्र की मार उत्तराखंड की वनस्पतियों पर भी पड़ रही है।
फरवरी में खिलने वाला बुरांस जनवरी में ही खिला
आप को बता दे की उत्तराखंड का फूल बुरांस अमतौर पर फरवरी, मार्च में खिलता है लेकिन इस बार जनवरी में ही खिल गया है। उत्तराखंड में पाई जाने वाली 26 जड़ी बूटियों पर भी बदले मौसम चक्र की मार पड़ने वाली है। जानकार इसे लेकर बेहद परेशान हैं।
सर्दियों में अभी तक नहीं हुई बारिश
उत्तराखंड में इस वर्ष सर्दियों में अभी तक पहाड़ी इलाकों में एक दिन भी बारिश नहीं हुई है। शुष्क मौसम के कारण हिमालय की जैव विविधता बुरी तरह से प्रभावित हुई है। कम बर्फबारी के कारण इस वर्ष बुरांस का फूल भी फरवरी, मार्च के बजाय जनवरी माह में खिल गया है। साथ में 26 से अधिक हिमालयी रीजन में पाई जाने वाली जड़ी बूटियों के प्रजनन चक्र पर बुरी तरह प्रभाव पड़ने से इनका अस्तित्व भी संकट में है।
गर्मी बढ़ने के कारण बुरांस जल्दी खिला
हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केन्द्रीय विवि के उच्च शिखरीय पादप शोध संस्थान में डायरेक्टर डॉ. विजय कांत पुरोहित का कहना है कि इस वर्ष पिछले 6 माह से बारिश नहीं हुई है, बर्फबारी भी कम हुई। मौसम में गर्मी बढ़ने के कारण बुरांस, फ्योंली जैसे फूल भी वक्त से पहले ही खिल गए हैं।