पिथौरागढ़: पर्वतीय इलाकों में लाखों-करोड़ों की लागत से बने अस्पताल सफेद हाथी साबित हो रहे हैं। कहीं डॉक्टर नहीं हैं तो कहीं दूसरी जरूरी सुविधाएं।जिसके कारण लोगों को कई दिक्कतों ा
मरीजों को कर रहे रेफर
अब पिथौरागढ़ के डीडीहाट में ही देख लें, यहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भागीचौरा पिछले दो महीने से नर्सों के भरोसे चल रहा है। जो भी गंभीर मरीज अस्पताल में इलाज की आस लिए आता है, उसे बाहर रेफर कर दिया जाता है।
अस्पताल में केवल एक डॉक्टर तैनात
इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को भागीचौरा सहित आसपास के गांवों के लोगों को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए खोला गया था, लेकिन लोगों को इसका फायदा नहीं मिल रहा। अस्पताल में केवल एक डॉक्टर तैनात था, जो कि दो महीने से अवैतनिक अवकाश पर हैं। सिंगाली के अस्पताल में कार्यरत फार्मासिस्ट को तीन दिन अस्पताल खोलने के लिए भागीचौरा अस्पताल भेजा जा रहा है।
अस्पताल में दो नर्स तैनात
अस्पताल में दो नर्स तैनात हैं, जो कि अस्पताल में आने वाले मरीजों को रेफर करके डीडीहाट सीएचसी भेजने का काम कर रही हैं। डॉक्टर न होने से तीन-चार हजार की ग्रामीण आबादी को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा।
लोग हो रहे परेशान
अगर किसी को बुखार-खांसी भी होती है तो 500 रुपये खर्च करके डीडीहाट अस्पताल जाना पड़ता है। क्षेत्र पंचायत सदस्य विवेक जोशी ने कहा कि अस्पताल में डॉक्टर न होने का मामला वह कई बार सदन से लेकर विभागीय अधिकारियों के सम्मुख रख चुके है, इसके बावजूद सुनने वाला कोई नहीं है। अस्पताल में ताले लटके रहते हैं। ऐसा ही चलता रहा तो ग्रामीण आंदोलन करने को मजबूर हो जाएंगे।