भ्रष्ट अधिकारियों व कार्मिकों की छुट्टी करने को तैयार राजस्थान सरकार
राजस्थान सरकार अपने नाकारा और भ्रष्ट अधिकारियों व कार्मिकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का निर्णय लिया है। राजस्थान सरकार के मुख्य सचिव सुधांशु पंत ने 23 मई को एक आदेश जारी करते हुए, कर्मचारियों को बड़ा झटका दे दिया है। मुख्य सचिव द्वारा जारी आदेश के अनुसार, 15 वर्ष की सेवा अथवा 50 साल पुरी कर चुके कर्मचारियों की अनिवार्य सेवानिवृत्ति का प्रावधान रखा गया है।
भ्रष्ट और नाकारा अधिकारियों व कार्मिकों की होगी सूची तैयार
मुख्य सचिव ने सीनियर लेवल ऑफिसर्स की मीटिंग में विभागों को भ्रष्ट आचरण और काम में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों की सूची तैयार करने के निर्देश दिए हैं। राजस्थान सरकार अब ऐसे कर्मचारियों की सूची बनाकर उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का निर्णय कर चुकी है।
मुख्य सचिव सुधांश पंत ने सीनियर लेवल अधिकारियों के साथ की बैठक
मुख्य सचिव सुधांश पंत ने पिछले दिनों सीनियर लेवल ऑफिसर्स की मीटिंग में यह निर्देश जारी किए है कि जो अधिकारी और कर्मचारी निष्पक्षता व पादर्शिता के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं कर रहे हैं। राजकार्य ने निरंतर अरुचि, भ्रष्ट आचारण और प्रशासनिक रूप से काम करने में असमर्थ हैं, ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इसके लिए संबंधित विभागों को नियामानुसार संबंधित आवश्यक कार्यवाही कर प्रस्ताव संबंधित प्रशासनिक विभाग को भेजे जाने के निर्देश जारी किए गए हैं।
एसे होंगे राज्य सेवा से कार्यमुक्त
राज्य सरकार ने राजस्थान सिविल सेवा (पेंशन) नियम 1996 के नियम 53(1) के तहत अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने के प्रावधान पहले से कर रखे हैं। इसके अनुसार अधिकारी और कर्मचारी जिन्होंने अपने सेवा काल के 15 वर्ष पूरे कर लिए हैं व अपनी अकर्मण्यता, संदेहास्पद सत्यनिष्ठा, अक्षमता, अकार्यकुशलता अथवा असंतोषजनक कार्यनिष्पादन के कारण जनहितार्थ उपयोगिता खो चुके हैं, ऐसे सरकारी अधिकारी व कर्मचारियों की स्क्रीनिंग कर तीन महीने के नोटिस या तीन महीने के वेतन भत्तों के भुगतान के साथ उन्हें तुरंत प्रभाव से राज्य सेवा से कार्यमुक्त किया जा सकेगा।