देहरादून। उत्तराखंड में पिछले 3 दिन से लगातार हुई बारिश के बाद अब बुधवार को मौसम खुल चुका है। चारधाम यात्रा भी आज से फिर शुरू हो चुकी है। तीन दिन की प्राकृतिक आपदा में 50 लोगों की जान चली गईं। 7 लोग अभी भी लापता हैं। बारिश के कारण नैनीताल जिले को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा है।
यहां 30 से ज्यादा लोगों की प्राकृतिक आपदा से मौत हुई है। नैनीताल एसएसपी प्रीति प्रियदर्शिनी रेस्क्यू कार्य का मोर्चा संभालते हुए पुलिस, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम के साथ डटी हुई हैं। उत्तराखंड में पिछले 3 दिन हुई मूसलाधार बारिश से पहाड़ी जिलों में कई मार्ग बंद हो गए हैं। प्रदेश भर में पहाड़ी जिलों में जगह-जगह पहाड़ियां दरक रही हैं। लैंडस्लाइड के कारण मार्ग बंद होने से जगह-जगह लोग फंसे हुए हैं। रामनगर के चुकम गांव में मंगलवार दोपहर से कोसी नदी का जलस्तर बेतहाशा बढ़ा है। नदी का रुख गांव के बीचों-बीच होने से दो दर्जन से ज्यादा घर बह गए हैं। साथ ही जमीन भी बह गई है। इस कारण ग्रामीणों ने रात भर जंगल में शरण ली। अभी भी 50 से ज्यादा ग्रामीण जंगल में ही फंसे हुए हैं। नैनीताल जिले में आपदा प्रभावित इलाकों से रेस्क्यू टीम ने 13 शव रिकवर किये हैं। वहीं, अभी भी ओखलकांडा में 7 लोगों के दबे होने की आशंका है। एनडीआरएफ की टीम भी मौके पर पहुंच चुकी है। जिले के अलग-अलग इलाकों में कई रेस्क्यू टीमें अपने काम में जुटी हैं। बारिश के कारण कई इलाकों में बिजली और पेयजल की आपूर्ति ठप है। जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल ने कहा कि नैनीताल जनपद में आपदा से करीब 50 करोड़ तक का नुकसान हुआ है। आपदा पीड़ितों की हरसंभव मददकी जा रही है।