देहरादून। उत्तराखंड के जलाशयों में सी प्लेन उतारकर पर्यटन को नए आयाम देने की कवायद शुरू हो गयी है। शुरुआती तौर पर टिहरी डैम, बौर जलाशय और नानकसागर जलाशय में सी प्लेन उतारने की योजना को लेकर सर्वे शुरू हो गया है। मंगलवार को मैरिटाइम इनर्जी हेली एअर सर्विस प्राइवेट लिमिटेड के निदेशकों ने स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के साथ नानकसागर डैम का स्थलीय निरीक्षण किया।
इस दौरान नानकसागर को सी प्लेन उतारने के लिए मुफीद पाया गया। इस संबंध में रिपोर्ट डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) को रिपोर्ट भेजी जाएगी। डीजीसीए की हरी झंडी मिलने पर योजना को आगे बढ़ाया जाएगा। सी प्लेन की योजना परवान चढ़ने पर उत्तराखंड में पर्यटन को नए आयाम मिलेंगे। सरकार और विमानन कंपनियां लगातार हवाई कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए काम कर रही हैं। ऐसे में जमीन और पानी में उड़ान भरने में सक्षम विमान सी-प्लेन की योजना को आगे बढ़ाया जा रहा है। इन्हें एम्फीबियन विमान के नाम से भी जाना जाता है। ऊधमसिंह नगर जिले में स्थिति नानकसागर डैम 16.5 मीटर गहरा और 19200 मीटर लंबा है। डैम के किनारे से महज 100 से 150 मीटर की दूरी पर आसानी से साथ सी प्लेन उड़ान भरने में सक्षम होता है। कंपनी ने मंगलवार को सी प्लेन चलाने के प्रोजेक्ट को लेकर स्थलीय निरीक्षण किया। इसमें पाया गया कि बेहद आसानी के साथ यहां से सी प्लेन का संचालन हो सकता है। खासतौर पर पर्यटकों को रिझाने में सी प्लेन की योजना बेहद अहम साबित हो सकती है। कंपनी की योजना देहरादून के जौलीग्रांट एयरपोर्ट से नानकसागर और बौर जलाशय और टिहरी डैम में एयर कनेक्टिविटी से जोड़ने की है।
मैरिटाइम इनर्जी हेली एअर सर्विस प्राइवेट लिमिटेड ने डायरेक्टर मो. शफीक कुरैशी ने बताया कि भारत में उनकी कंपनी ने सबसे पहले अंडमान निकोबार में सी प्लेन सेवा शुरू की थी। कंपनी के को फाउंडर सिद्धार्थ वर्मा भारत में सी प्लेन लांच किया था। उन्होंने बताया कि शुरुआत में अंडमान निकोबार के पोर्ट ब्लेयर एयरपोर्ट से होवलैक आयरलैंड और नील डिगलीपुर आयरलैंड तक सी प्लेन चलाया गया था। इसके बाद मुंबई के जूहू एयरपोर्ट से पाउला डैम और एमीवैली लैक से गिरगांव चौपाली तक सी प्लेन चलाया गया।