उत्तराखंड में इसी साल 38वें राष्ट्रीय खेलों (38th National Games) का आयोजन हुआ था. अब इसे लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है. 11 खिलाड़ियों के डोप टेस्ट (dope test ) पॉजिटिव पाए गए. इनमें से 8 खिलाड़ी वो हैं जिन्होंने मेडल जीते हैं.
खिलाड़ियों ने किया था डोप ड्रग का इस्तेमाल
उत्तराखंड में इसी साल 38वें राष्ट्रीय खेलों का आयोजन हुआ था. अब इसे लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है. 11 खिलाड़ियों के डोप टेस्ट पॉजिटिव (dope test positive) पाए गए. इनमें से 8 खिलाड़ी वो हैं जिन्होंने मेडल अपने नाम किए थे. राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी यानि (NADA) ने इन खेलों में डोपिंग टेस्ट किए. जो पॉजिटिव पाए गए. इनमें से छह खिलाड़ी पंजाब के और दो खिलाड़ी उत्तराखंड के भी थे, जिनमें से एक वूशु में मेडल विजेता था.
खिलाड़ियों को दिया जाएगा अपनी बेगुनाही साबित करने का मौका
डोपिंग में पकड़े गए खिलाड़ियों को अपनी बेगुनाही साबित करने का मौका दिया जाएगा. यदि वो दोषी पाए गए, तो उन पर एक से चार साल तक का प्रतिबंध लग सकता है. इस मामले ने उत्तराखंड की मेडल तालिका को भी प्रभावित करने की संभावना जताई है. क्योंकि पॉजिटिव टेस्ट के कारण कुछ पदक वापस लिए जा सकते हैं. वहीं राष्ट्रीय खेलों में हुए डोप ड्रग के इस्तेमाल के बाद खेल मंत्री रेखा आर्य की ओर से कोई बयान सामने नहीं आया है.
खिलाड़ी क्यों करते हैं डोप ड्रग का इस्तेमाल ?
- बेहतर प्रदर्शन के लिए – ताकत, स्टैमिना और तेजी बढ़ाने के लिए
- कड़ी प्रतियोगिता का दबाव – जीतने के लिए किसी भी हद तक जाने की मानसिकता
- तेज़ रिकवरी के लिए – चोट या थकान से जल्दी उबरने की कोशिश
- नाम, पैसा और शोहरत पाने की चाहत – स्पॉन्सरशिप और लोकप्रियता का लालच
- कोच या सपोर्ट स्टाफ का दबाव – ज़बरदस्ती या गलत सलाह से
घातक ड्रग है डोप
वहीं खेल विभाग के डायरेक्टर प्रशांत आर्य ने कहा कि जो मामले सामने आए है अभी 1 महीने के बाद ही कुछ नतीजे निकल आएंगे. आर्य ने कहा डोप एक घातक ड्रग है जो हेल्थ को नुकसान पहुंचता है. 38वें राष्ट्रीय खेलो में डोप ड्रग का इस्तेमाल होने एक गंभीर विषय है. डोपिंग अवैध और अनैतिक भी है है. यह न केवल खेल की भावना को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि खिलाड़ियों के स्वास्थ्य को भी गंभीर खतरा पैदा करता है.