देहरादून। चुनाव आयोग ने राजनीति में बढ़ते अपराधीकरण से निपटने के लिए खास इंतजाम किए हैं। जिसके तहत दागी उम्मीदवारों को टिकट देने वाली पार्टियों को जानकारी देनी होगी कि उसे उम्मीदवार बनाने के पीछे की मजबूरी क्या थी। चुनाव आयोग की इस गाइडलाइन को लेकर उत्तराखंड की मुख्य निर्वाचन अधिकारी सौजन्या ने जानकारी दी।
उत्तराखंड की मुख्य निर्वाचन अधिकारी सौजन्या ने बताया कि निर्वाचन आयोग ने प्रत्याशियों के साथ-साथ राजनीतिक पार्टियों के लिए भी उम्मीदवार के आपराधिक इतिहास को सार्वजनिक करने को लेकर दिशा-निर्देश जारी किया। इस बार राजनीतिक दलों को आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों की जानकारी अखबार, टीवी चौनल्स के माध्यम से विज्ञापन देकर सार्वजनिक करनी होगी। साथ ही साथ दागी कैंडिडेट को भी पर्चा वापस लेने की अंतिम तारीख से मतदान के दो दिन पहले तक आपराधिक रिकॉर्ड का ब्योरा अखबारों और टीवी चौनलों के माध्यम से मतदाताओं के सामने रखना होगा। उत्तराखंड की मुख्य निर्वाचन अधिकारी सौजन्या ने बताया कि उम्मीदवारों को कैंपेन पीरियड के दौरान स्थानीय समाचार पत्रों और राष्ट्रीय समाचार पत्रों में तीन बार अपनी आपराधिक पृष्ठभूमि से जुड़े विवरण का व्यापक प्रचार प्रसार करना होगा। राजनीतिक दलों को अपनी वेबसाइट पर प्रत्याशियों के आपराधिक रिकॉर्ड की जानकारी साझा करनी होगी। इसके अलावा उत्तराखंड की मुख्य निर्वाचन अधिकारी सौजन्या ने बताया कि राजनीतिक दलों के लिए यह अनिवार्य है कि वे उम्मीदवारों के रूप में चुने गए लंबित आपराधिक मामलों वाले व्यक्तियों के बारे में विस्तृत जानकारी अपनी वेबसाइट पर अपलोड करें. साथ ही पार्टियों को उम्मीदवार का चयन करने के लिए एक कारण भी देना होगा। बता दें इसमें जिताऊ उम्मीदवार को वजह बताना शामिल नहीं है। उम्मीदवार के आपराधिक विवरण का पहली बार प्रकाशन नाम वापसी की अंतिम तारीख के पहले चार दिनों के भीतर करवाना होगा। दूसरी बार इसका प्रकाशन नाम वापसी की अंतिम तारीख के पांचवें से आठवें दिन के अंदर करवाना होगा। तीसरे और अंतिम बार इसका प्रकाशन नाम वापसी के नौवें दिन से चुनाव प्रचार के अंतिम दिन के बीच करवाना होगा। निर्विरोध रूप से जीतने वाले प्रत्याशी और उनकी पार्टी का भी कोई आपराधिक इतिहास रहा हो तो इससे जुड़ी जानकारी प्रकाशित करवानी होगी।