बल्लेबाजी और ऑफ ब्रेक स्पिन गेंदबाजी में माहिर हैं स्नेह राणा। यही वजह है कि वह आज भारतीय महिला क्रिकेट टीम का हिस्सा बन गई हैं। 19 जनवरी को विशाखापट्टनम में श्रीलंका के खिलाफ अपने पहले अंतरराष्ट्रीय मैच में शानदार गेंदबाजी की। 6 ओवर में 4 मेडन रखते हुए सिर्फ 7 रन दिए और एक विकेट लिया। ऐसा शानदार प्रदर्शन अगले दो मैचों में भी जारी रहा।
देहरादून के पास सिनोला गांव में किसान के परिवार में जन्मी स्नेह के लिए क्रिकेट बचपन से जुनून था। वह लड़कों के साथ क्रिकेट खेलतीं, लेकिन आगे बढऩे का सफर आसान नहीं था। जब 9 साल की थीं, स्नेह के गांव में देहरादून के लिटिल मास्टर्स क्रिकेट एकेडमी ने मैच कराया। स्नेह के खेल को देखकर कोच नरेंद्र शाह और किरण शाह ने क्लब में ले लिया। परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी। स्नेह पिता की पुरानी साइकल रोज 12 किलोमीटर चलाकर क्लब जातीं और क्रिकेट सीखतीं, लेकिन उत्तराखंड में मौके नहीं थे। जब स्नेह 16 साल की थीं, बेटी का बड़ा क्रिकेटर बनने का सपना पूरा करने के लिए पिता भगवानसिंह राणा ने बड़ा फैसला लिया। सारी खेती बेच दी और हरियाणा शिफ्ट हो गए। रत्तीभर नहीं सोचा कि अगर बेटी अपने खेल में आगे नहीं बढ़ पाई तो परिवार की रोज़ी-रोटी कैसे चलेगी। राणा कहते हैं- ‘मुझे बेटी की काबिलियत पर भरोसा था,’ लेकिन हरियाणा से स्नेह को ज्यादा मौके नहीं मिले।
दो साल हरियाणा रहने के बाद परिवार को अमृतसर शिफ्ट होना पड़ा। स्नेह ने पंजाब से खेलना शुरू किया और उनका कॅरिअर आगे बढ़ता चला गया। पंजाब की अंडर-19 टीम की कप्तान बनीं। स्नेह हरमनप्रीत भुल्लर के बाद भारतीय टीम में शामिल होने वाली पंजाब से दूसरी क्रिकेटर हैं। स्नेह बताती हैं- ‘मेरा कॅरिअर बनाने में पिता का बड़ा योगदान है। उन्होंने मेरे कॅरिअर के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया।’