अंकिता हत्याकांड मामले में बचाव पक्ष का कहना है कि पुलिस बताना चाहती थी कि वनंत्रा रिजॉर्ट लड़कियों के लिए सुरक्षित नहीं था। यहां सब लड़के ही काम कर रहे थे। अकेली अंकिता को यहां परेशान किया गया। खुशराज लड़का है या लड़की, इसे सिद्ध करने के लिए कोई आधार कार्ड या अन्य परिचय पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया है।
उत्तराखंड के चर्चित अंकिता हत्याकांड में एक नया विवाद खड़ा हो गया है। हत्याकांड की सुनवाई के दौरान गवाही के लिए पेश किए गये एक गवाह के जेंडर को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। सवाल यह उठ रहा है कि सात नंबर गवाह खुशराज लड़का है या लड़की। बचाव पक्ष इस गवाह के लड़का होने से पूरी तरह से इंकार कर रहा है और अभियोजन पक्ष पर उसे जानबूझकर लड़का बता कर कोर्ट में पेश करने का आरोप लगाया है। सवाल यह भी उठ रहे हैं कि हत्याकांड का अहम गवाह खुशराज हत्याकांड के अगले दिन ही रेगुलर पुलिस के पास थाना लक्ष्मणझूला पहुंच गया था। कोर्ट में जिरह के दौरान खुशराज ने ही यह बात बचाव पक्ष को बताई।
कोटद्वार स्थित अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (एडीजे) रीना नेगी की अदालत में हत्याकांड के मुख्य आरोपी पुलकित आर्य के वनंतरा रिजॉर्ट में हाउसकीपिंग का काम करने वाले खुशराज को गवाही के लिए पेश किया गया था। खुशराज के साथ ही एक और गवाह चंद्रकिरण को भी समन भेजा गया था लेकिन वह अदालत में हाजिर नहीं हुआ। कोर्ट में केवल खुशराज के बयान दर्ज हुए। गवाही के दौरानन खुशराज ने पुलिस और एसआईटी को पूर्व में दिए बयान ही कोर्ट में दोहराए।
इसी 7 नंबर गवाह खुशराज के जेंडर को लेकर अब विवाद खड़ा हो गया है। बचाव पक्ष का कहना है कि पुलिस यह बताना चाहती थी कि वनंतरा रिजॉर्ट लड़कियों के लिए सुरक्षित नहीं था। यहां सब लड़के ही काम कर रहे थे। अकेली अंकिता को यहां परेशान किया गया। खुशराज लड़का है या लड़की इसे सिद्ध करने के लिए कोई आधार कार्ड या अन्य परिचय पत्र भी प्रस्तुत नहीं किया गया। बचाव पक्ष खुशराज को लड़की बता रहा है। बचाव पक्ष का आरोप है कि अभियोजन ने उसे जानबूझकर लड़का बता कर कोर्ट में पेश किया है जबकि वह जन्मजात लड़की है। बचाव पक्ष इस के पक्ष में अब साक्ष्य जुटाने के बाद भी कह रहा है।
बता दें कि अंकिता हत्याकांड में खुशराज की गवाही काफी अहम है। खुशराज ने ही सबसे पहले अंकिता को फोन पर चिल्लाते हुए सुना था। हालांकि अब बचाव पक्ष के अधिवक्ता अमित सजवान के इस तर्क से जेंडर विवाद खड़ा हो गया है। उधर सात नंबर गवाह खुशराज का कहना है कि उसका आधार कार्ड ही नहीं बना है। वहीं अभियोजन के अधिवक्ता जितेंद्र रावत का कहना है कि पुलिस द्वारा कोई भी बात छुपाई नहीं गई है। नौकरी पाने के दौरान खुशराज ने जेंडर के सामने पुरुष ही लिखा था और यह बात पुलिस को भी पता है। गवाह के लड़का या लड़की होने की बात सुनने से कोर्ट ने भी इंकार कर दिया था। ऐसे में इस बात पर विवाद उचित नहीं है। उन्होंने बचाव पक्ष से उन्होंने कहा कि यदि बचाव पक्ष के पास कोई साक्ष्य है तो वह इसे प्रस्तुत करें।
इधर, अभियोजन के अधिवक्ता जितेंद्र रावत का कहना है कि पुलिस की ओर से कोई बात नहीं छुपाई गई है। खुशराज ने जब नौकरी पाई थी तो उसने जेंडर के सामने पुरुष ही लिखा था। यह बात पुलिस को भी पता है। गवाह लड़का है या लड़की, इस बात को सुनने से कोर्ट ने भी इन्कार कर दिया था। ऐसे में इस बात पर विवाद उचित नहीं है। बचाव के पास यदि कोई साक्ष्य है तो वह प्रस्तुत करे। खुशराज का कहना है कि उसका आधार कार्ड नहीं बना है।