उत्तराखंड सरकार ने चारधाम यात्रा को सुगम और समयबद्ध बनाने की दिशा में एक अहम कदम उठाया है। सरकार ने बदरीनाथ और जोशीमठ के बीच केदारनाथ मॉडल पर आधारित हेली शटल सेवा शुरू करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा है। यह पहल विशेष रूप से उन यात्रियों के लिए लाभकारी होगी जो कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के कारण यात्रा नहीं कर पाते।

पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
यह हेली सेवा न केवल श्रद्धालुओं को राहत देगी, बल्कि राज्य में धार्मिक पर्यटन को भी एक नई दिशा देगी। कम समय में अधिक तीर्थस्थलों तक पहुंच संभव होगी, जिससे पर्यटकों की संख्या में भी इज़ाफा होने की उम्मीद है।
नागरिक उड्डयन मंत्रालय से मांगी अनुमति
इस सेवा के संचालन के लिए उत्तराखंड सरकार ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय से अनुमति की मांग की है। प्रस्ताव में केवल बदरीनाथ-जोशीमठ मार्ग ही नहीं, बल्कि देहरादून से पिथौरागढ़ और मुनस्यारी के लिए भी हेली सेवा को शामिल किया गया है।
जायरोकॉप्टर सेवा का भी विस्तार संभव
राज्य सरकार ने हरिद्वार से देवप्रयाग के बीच सफल पायलट प्रोजेक्ट के बाद जायरोकॉप्टर सेवा के व्यावसायिक लाइसेंस की मांग भी की है। यह सेवा खासकर उन क्षेत्रों में उपयोगी हो सकती है जहां हेलीकॉप्टर संचालन संभव नहीं है।

यात्रा अनुभव होगा सुरक्षित और तेज़
इन पहलों से चारधाम यात्रा अधिक सुरक्षित, सहज और समयबद्ध हो सकेगी। इसके साथ ही आपातकालीन परिस्थितियों में रेस्क्यू ऑपरेशन भी आसान हो सकेंगे। शासन की यह रणनीति पर्वतीय क्षेत्रों में जीवन और यात्रा दोनों के लिए बेहतर भविष्य का संकेत है।
प्रस्ताव पर केंद्र की मुहर का इंतजार
अब निगाहें केंद्र सरकार पर टिकी हैं, जिसकी स्वीकृति के बाद यह ऐतिहासिक सेवा धरातल पर उतर पाएगी। अगर अनुमति मिलती है, तो जल्द ही श्रद्धालु हेली शटल के ज़रिए बदरीनाथ धाम की यात्रा कर सकेंगे।