उत्तराखंड में राज्य आंदोलनकारियों की चिन्हिकरण की मांग को लम्बे समय से पूरा नही किया गया , जिसके कारण सरकार की मंशा पर कई सवाल खड़े हो रहे है। राज्य आंदोलनकारी लंबे समय से अपने अधिकारो के लिए सड़कों पर अंदोलन कर रहे है , लेकिन इसके बावजूद भी राज्य सरकार की कानों में जूं तक नहीं रेंगी।
आंदोलनकारीयो को उनके हक से रखा वंचित
आरक्षण के लिए बनी समिति द्वारा काफी समय पहले विसंगतियां दूर कर सरकार को भेज दिया गया था,लेकिन अभी तक सरकार द्वारा विशेष सत्र बुलाकर अधिनियम को पारित नहीं किया गया। जबकि सत्र बुलाना सरकार का विशेष अधिकार है, वही राज्य आंदोलनकारी लंबे समय से अपने अधिकारो के लिए सड़कों पर है, जबकि बीजेपी उत्तराखंड में लगभग 6 से 7 सालों से पूर्ण बहुमत की सरकार राज्य में चला रही है। जिसके बाद भी भाजपा राज्य आंदोलनकारियों को उनके हक से वंचित रख रही है।
क्या कहना है आंदोलनकारियों का ?
वही आंदोलनकारियों कि माने तो सरकार को अगर राज्य के शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि देनी है तो आंदोलनकारी की माग को जल्दी पूरा करना होगा। आप को बता दे की पूरे प्रदेश में लंबे समय से आंदोलनकारी चिनीकरण की मांग कर रहे हैं, जिसे सरकार ने अभी तक पूरा नहीं किया।
वही इस कड़ी में उपनेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी ने धामी सरकार पर आरोप लगाया की धामी सरकार राज्य आंदोलनकारी आरक्षण पर जानबूझकर देरी कर रही है।