देहरादून में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में आयोजित कैबिनेट बैठक में आज प्रदेश के संपूर्ण विकास को रफ्तार देने वाले कई ऐतिहासिक निर्णय लिए गए। बैठक में सहकारिता, धार्मिक पर्यटन, शहरी विकास, स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि सुधार जैसे विषयों पर कुल 20 से अधिक प्रस्तावों को मंजूरी दी गई।

ISBT बद्रीनाथ की दीवारों पर बनाए जाएंगे धार्मिक और सांस्कृतिक चित्रण
बद्रीनाथ धाम में निर्माणाधीन अंतरराज्यीय बस टर्मिनल (ISBT) की दीवारों को धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक चित्रों से सजाने का रचनात्मक निर्णय लिया गया है। इससे यात्रियों को एक आध्यात्मिक अनुभव मिलेगा और उन्हें यात्रा के आरंभ से ही देवभूमि की सांस्कृतिक छवि का साक्षात्कार होगा।
दीवारों पर भगवान बद्रीनाथ, स्थानीय पौराणिक कथाएँ, हिमालय की आध्यात्मिकता और उत्तराखंड की लोक संस्कृति से जुड़े दृश्य चित्रित किए जाएंगे। यह चित्रण श्रद्धालुओं को एक दिव्य वातावरण प्रदान करेगा।
इस पहल के अंतर्गत स्थानीय कलाकारों और संस्कृति विभाग को शामिल किया जाएगा, जिससे उन्हें रोजगार और अपनी कला को मंच मिलने का अवसर प्राप्त होगा।
नई सहकारिता नीति को मिली मंजूरी
धामी सरकार ने प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए राज्य की नई सहकारिता नीति को मंजूरी दी है।
इसके साथ ही कैबिनेट ने सहकारिता विभाग में उप निबंधक (ऑडिट) के एक निसंवर्गीय पद के सृजन को भी स्वीकृति दी है। यह लेवल-11 का पद पांच वर्षों के लिए सृजित किया गया है, जिससे विभागीय कार्य प्रणाली की निगरानी और ऑडिटिंग में पारदर्शिता सुनिश्चित होगी। इस नीति का उद्देश्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाना, किसानों को संगठित करना, और डिजिटल सहकारी व्यवस्थाओं को बढ़ावा देना है। यह निर्णय प्रदेश के आर्थिक ढांचे को जमीनी स्तर पर मजबूती देने के प्रयासों का हिस्सा है।
पशुपालन विभाग से जुड़ी योजनाओं में किए सुधार
पशुपालन विभाग से जुड़ी योजनाओं में भी बड़े सुधार किए गए हैं। अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के लाभार्थियों को पशुपालन योजनाओं में मिलने वाली 90% तक की सब्सिडी को अब “गंगा गाय योजना” में सम्मिलित कर दिया है और इसका लाभ सामान्य वर्ग के लोगों को भी मिलेगा।

इसके अलावा डेयरी विकास की “गंगा गाय योजना” को भी इस योजना में सम्मिलित किया गया है।
साथ ही, पशुधन प्रसार अधिकारियों के लिए अनिवार्य प्रशिक्षण अवधि को दो वर्ष से घटाकर एक वर्ष कर दिया गया है, जिससे चयनित उम्मीदवारों को शीघ्र सेवा में आने का अवसर मिलेगा और विभाग कि कार्यक्षमता में वृद्धि होगी।
इन सभी निर्णयों के माध्यम से सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह न केवल प्रदेश की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रखना चाहती है, बल्कि बुनियादी ढांचे और सामाजिक कल्याण को भी प्राथमिकता दे रही है। यह बैठक उत्तराखंड के समग्र और संतुलित विकास के प्रति राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को स्पष्ट रूप से दर्शाती है।