देहरादून स्थित एफआरआई परिसर में अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष-2025 के उपलक्ष्य में दो दिवसीय कार्यशाला “सहकार मंथन-2025” का शुभारंभ सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने किया। इस कार्यशाला का उद्देश्य सहकारिता क्षेत्र में नवाचार को प्रोत्साहन देना, ग्रामीण क्षेत्रों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना और युवाओं के लिए स्वरोजगार के अवसर बढ़ाना रहा।

प्रत्येक गाँव में बहुउद्देश्यीय सहकारी समितियों की योजना
डॉ. रावत ने जानकारी दी कि हाल ही में हुई केंद्रीय बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि हर 300–400 ग्रामीण जनसंख्या अथवा 2–3 गाँवों के समूह के लिए एक बहुउद्देश्यीय सहकारी समिति (Multipurpose Cooperative) गठित की जाएगी। इससे राज्य की 670 एम-पैक्स समितियों को और अधिक सशक्त किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि सहकार मंथन केवल विचार-विमर्श तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि सहकारी समितियों को ग्रामीण विकास की मुख्यधारा में लाना लक्ष्य होना चाहिए।
उत्तराखंड सहकारिता की राष्ट्रीय स्तर पर पहचान
डॉ. रावत ने बताया कि उत्तराखंड देश का पहला राज्य है जिसने 2017 से आईबीपीएस प्रणाली के माध्यम से सहकारी बैंकों में पारदर्शी और मेरिट आधारित भर्तियों की शुरुआत की। अब छह अन्य राज्य भी इस मॉडल को अपना रहे हैं। उन्होंने जिला स्तर पर हर 15 दिन में समीक्षा बैठकें आयोजित करने के निर्देश दिए, ताकि जमीनी स्तर पर प्रगति का आकलन किया जा सके।
मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना की राष्ट्रीय सराहना
कार्यशाला के दौरान यह भी बताया गया कि उत्तराखंड की मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना की देशभर में सराहना हो रही है और कई राज्य इसे अपनाने की दिशा में अग्रसर हैं।
डिजिटलीकरण और विपणन पर विशेष चर्चा
कार्यशाला में सहकारी समितियों के डिजिटलीकरण, ऋण वितरण प्रणाली में सुधार और ग्रामीण उत्पादों के मार्केटिंग जैसे विषयों पर भी विचार-विमर्श हुआ। सहकारिता मंत्री ने राज्य को सहकारी क्षेत्र में अग्रणी बनाने की मंशा जताते हुए सभी हितधारकों से एकजुट होकर कार्य करने का आह्वान किया।
पर्यावरण संरक्षण और हरित पहल
प्रो. अरुण कुमार त्यागी ने सहकारी समितियों द्वारा संचालित नर्सरियों को ग्रामीण आय और पर्यावरण संरक्षण का एक सशक्त माध्यम बताया। वहीं नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक श्री पंकज तिवारी ने “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान की जानकारी दी और पूर्ण सहयोग का आश्वासन भी दिया।

तकनीकी और नवाचार आधारित सत्रों का आयोजन
श्री मेहरबान सिंह बिष्ट (निबंधक) ने आईटी आधारित सहकारिता पर बल दिया। श्रीमती ईरा उप्रेती (अपर निबंधक) ने 61 बिंदुओं की गैप एनालिसिस प्रस्तुत की, जबकि श्री आनंद शुक्ल ने उत्तराखंड को कोऑपरेटिव इनोवेटिव गेम चेंजर के रूप में प्रस्तुत किया। कार्यशाला का संचालन श्री मंगला त्रिपाठी (संयुक्त निबंधक) ने किया।
विशेषज्ञों और प्रतिनिधियों की भागीदारी
इस कार्यशाला में सहकारिता सचिव डॉ. वीबीआरसी पुरुषोत्तम, निबंधक डॉ. मेहरबान बिष्ट, नाबार्ड, मत्स्य, डेयरी, सहकार भारती के प्रतिनिधि, बैंकिंग क्षेत्र के वरिष्ठ अधिकारी, केंद्र सरकार के सहकारिता मंत्रालय के विशेषज्ञ, राज्य के विभिन्न जिलों से सहकारी प्रतिनिधि और ग्रामीण हितधारक उपस्थित रहे।