61 वर्ष की उम्र में रूपकुंड ट्रैकिंग के लिए आईं जर्मनी की एलिजाबेथ को मुंदोली की एक घटना ने ऐसा झकझोरा की वह यहीं की होकर रह गईं।
उन्होंने देवाल विकासखंड के दो बच्चों को गोद लिया और यशोदा बन कर उनकी परवरिश की। उन्हें पढ़ाया-लिखाया और शादी भी धूमधाम से की।
उन्होंने देवाल विकासखंड के दो बच्चों को गोद लिया और यशोदा बन कर उनकी परवरिश की। उन्हें पढ़ाया-लिखाया और शादी भी धूमधाम से की।
यही नहीं उन्होंने गांवों के कई अन्य बच्चों की पढ़ाई की जिम्मेदारी भी खुद ली और कॅरिअर बनाने के लिए कई कोर्स भी कराए। आज यह बच्चे अन्य शहरों में नौकरी कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने अन्य जरूरतमंदों की मदद भी की। यही नहीं ईसाई होने के बाद भी वे मंदिरों में पूजा करती थीं। मंगलवार को जब एलिजाबेथ अपने देश लौटने लगीं तो पूरा गांव रो पड़ा।
- एलिजाबेथ ने कहा 23 साल मैं इस क्षेत्र में रही। अब उम्र के 84वें पड़ाव में पहुंचने के बाद शरीर से कमजोर हो गई हूं। अब अपने देश जा रही हूं, लेकिन यहां की यादें हमेशा दिल में रहेंगी।