तबाही का मंजर देख पीएमजीएसवाई और पीडब्ल्यूडी पर फूटा पूर्व विधायक का गुस्सा कहा दोनों विभागों पर हो मुकदमा दर्ज
पीड़ितों को दिया सरकार से मदद का आश्वासन
वाचस्पति रयाल
नरेंद्रनगर।पट्टी दोगी क्षेत्र में आसमान से बरसी आफत रूपी बारिश के सैलाब में कई गांव तबाह हो गए हैं।
इन्हीं में एक गांव है तिमली तोंक में बसा टोलकी।
मंज्याड़ी ग्राम पंचायत के तिमली- टोलकी का सरसब्ज गांव आज आपदा की ढेर में तब्दील हो गया।
बारिश से आए आपदा की भेंट चढ़ा गांव अब कतई रहने लायक नहीं रह गया है।
आपदा से गांव की तबाही की खबर सुनते ही क्षेत्र के पूर्व विधायक ओम गोपाल रावत क्षतिग्रस्त रास्तों और झाड़ियों के बीच से होकर अपनी टीम पूरन सिंह पुंडीर,सुनील आर्य व विक्रम चौहान के साथ तिमली के टोलकी गांव पहुंचे, तो खंडहर के मंजर में तब्दील हुए गांव का नक्शा और भूगोल देखकर वे हैरान रह गए।
आसमान से बरसी आफत की बारिश ने यहां सब कुछ तहस-नहस करके रख दिया। यदि कुछ शेष बचा था तो वो था सिर्फ तबाही का मंजर।
ग्रामीण काश्तकारों के खेत- खलियान,मकान-चौक-आंगन, खड़ी फसलें, पैदल मार्ग, पेयजल पाइप लाइनें, गधेरों के पुल, विद्युत पोल सभी कुछ आपदा की भेंट चढ़ गये।
आपदा की मार से हताश ग्रामीणों काश्तकारों ने पूर्व विधायक रावत को अपना दुखड़ा सुनाया।
ओम गोपाल रावत ने गांव के हर तोंक में जाकर आपदा से हुए नुकसान का जायजा लिया।
ग्रामीणों ने गांव में आई भीषण आपदा की तबाही के लिए पीएमजीएसवाई और लोक निर्माण विभाग को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा है कि गांव के ठीक 300 मीटर ऊपर दोनों विभागों द्वारा काटी जा रही सड़क के मलबे का डंपिंग जोन गांव के ऊपर ही बनाया गया,मलबे को रोकने के लिए प्रोटेक्शन दीवार नहीं लगाई गई,इसी का नतीजा रहा कि भीषण बारिश में सड़क का मलबा समूचे गांव को तबाह कर गया।
यह सब देख पूर्व विधायक ओम गोपाल रावत पीएमजीएसवाई और लोक निर्माण विभाग पर बिफर पड़े।
गांव में आई भीषण आपदा के लिए पूर्व विधायक ने दोनों विभागों सहित ठेकेदार को जिम्मेदार ठहराते हुए मुकदमा दर्ज करने की मांग की है।
पूर्व विधायक का कहना था कि ग्रामीणों की सुविधा की दृष्टि से बनाई जा रही सड़क के चलते गांव की तबाही कैसे बर्दाश्त की जा सकती है। पूर्व विधायक ने कहा जब सड़क निर्माण के मलबे से गांव ही साफ हो जाएंगे तो सड़क का क्या करेंगे?
सड़क के डंपिंग मलबे से हुई गांव की तबाही के लिए ओम गोपाल ने पीएमजीएसवाई,लोक निर्माण विभाग और ठेकेदार को जिम्मेदार ठहराते हुए मुकदमा दर्ज करने की मांग की है।
आपदा के सैलाब में आजीविका चलाने के एकमात्र साधन गांव के सीढ़ी नुमा खेत देखते ही देखते मलबे के ढेर में तब्दील हो गए। गांव में 9 मकान रहने लायक नहीं बचे, गांव के 4 पुलों में एक पुल आपदा में बह गया, तीन टूटने के कगार पर हैं, पैदल मार्ग पेयजल लाइनें बिजली के खंभे,खड़ी फसलें सब कुछ तबाही के मंजर में तब्दील हो करके रह गए।
आपदा की भेंट चढ़े गांव का ऐसा मंजर देख पूर्व विधायक ओम गोपाल रावत सहित ग्रामीणों ने सरकार से गांव को विस्थापित करने की मांग की है।
इनके खेत-खलिहान, आंगन-चौक,मकान चढ़े आपदा की भेंट
राजेंद्र सिंह,उत्तम सिंह, केवल सिंह,आर एस सिंह, कमल सिंह,कुंवर सिंह, भगवान सिंह,वीर सिंह, चतर सिंह,शूरवीर सिंह, गोविंद सिंह,रामलाल, रिखुली देवी,ओंकार सिंह, जगमोहन सिंह,छोटा सिंह, वीरेंद्र सिंह व के एस सिंह आदि
कई पीढ़ियों के पूर्वजों की मेहनत के पसीने से निर्मित गांव के सीढ़ीनुमा उपजाऊ खेत क्या बीते जमाने की बात बनकर तो नहीं रह जाएगी,या फिर सरकार दरियादिली दिखाकर डरावने मंजर को पुनः खेतों में तब्दील कर पीड़ित ग्रामीणों के जख्मों पर मरहम लगाने का काम कर पायेगी।ये देखने वाली बात होगी।
बहरहाल आपदा की मार से आहत टोलकी गांव के लोग मदद की आस लगाये टुकुर-टुकुर निहार रहे हैं, प्रदेश सरकार की ओर।
प्रदेश सरकार आपदा की मार झेल रहे इन ग्रामीण काश्तकारों की मदद कितना कर पाती है और मलबे के ढेर में तब्दील हुए गांव का सिस्टम कब पटरी पर कब तक लौट आता है।बहरहाल यह सब कुछ छिपा है भविष्य के गर्त में।