दून घाटी के 15 लाख निवासियों और पर्यावरण को बचाने हेतु सरकार को दून घाटी अधिसूचना 1989 निष्क्रिय करने का निर्णय वापिस लेना होगा – कांग्रेस ।
कांग्रेस प्रवक्ता अभिनव थापर ने कांग्रेस मुख्यालय में प्रेस वार्ता की जिसमें उन्होंने अधिसूचना 1989 को उत्तराखंड राज्य सरकार द्वारा निष्क्रिय करनें के लिए भारत सरकार द्वारा निकाले गए शासनादेश का विराध किया। कांग्रेस प्रवक्ता अभिनव थापर ने कहा कि दून घाटी अधिसूचना 1989 में दून घाटी क्षेत्र को पर्यावरण के विषय पर संवेदनशील होने के कारण लाईम स्टोंन माइनिंग और एयर क्वलिटी इनडेक्स (AQI) के सुधार हेतु सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार दून घाटी का प्रावधान किया गया था। जो देहरादून और उसके आसपास के क्षेत्र मसूरी, सहसपुर, डोईवाला, ऋषिकेश, विकासनगर, और इनके आस पास के इलाकों को बचाने के लिए किया गया है लेकिन राज्य सरकार के प्रस्ताव पर पर्यावरण वन व जल वायु मंत्रालय (MoEF) द्वारा दून घाटी अधिसूचना 1989 निष्क्रिय करने हेतु शासनादेश जारी किया गया जिस पर राज्य सरकार को दून घाटी में भारी औद्योगिक गतिविधि जो उनको संचालित करने का अधिकार भी दिया गया।
साथ ही उन्होंने बताया की राज्य की डबल इंजन सरकार ने पुनः प्रधान मंत्री मोदी के निर्देश “NCAP से उल्ट अधिसूचना हटाने का काम किया है क्योंकि भारत सरकार द्वारा 2019 में National Clean Air Program ( NCAP) शुरू किया गया जिसमे भारत के 131 शहरों को चयनित किया गया जिनकी हवा में प्रदूषण की मात्रा अधिक थी और उनके सुधार हेतु भारत सरकार ने 10422.73 करोड़ रुपए का प्रावधान भी किया गया है।
कांग्रेस प्रवक्ता अभिनव थापर ने कहा की हम देहरादून, मसूरी, सहसपुर, डोईवाला, ऋषिकेश , विकासनगर और आसपास का क्षेत्र जो दून घाटी के अंतर्ग्रत आता है उसको बचाने की लड़ाई हम हर स्तर पर लड़ेंगे। प्रधान मंत्री कार्यालय के हास्ताक्षेप के बाद भी यदि उत्तराखंड सरकार जाग नही रही है तो ये राज्य सरकार का दुर्भाग्यपूर्ण रवैया है, उत्तराखंड में पहले ही रैणी, जोशीमठ, उत्तरकाशी और टिहरी बांध के आसपास व अन्य कई इलाकों में कई बार आपदा आ चुकी है और Seismic Zone 4 और Fault Lines लैस दून घाटी में पहले से ही अत्यधिक जनसंख्या का दबाव है जिससे आए दिन पर्यावरण में बदलाव हो रहा है अतः हमारा डबल इंजन सरकार से निवेदन है की दून घाटी क्षेत्र के पर्यावरण के खिलाफ जो सरकार ने निर्णय लिए है उसको तुरंत वापिस लिया जाए। दून घाटी में देहरादून, मसूरी, सहसपुर, विकासनगर, डोईवाला, ऋषिकेश और आसपास के इलाके में लगभग उत्तराखंड की 15 लाख से अधिक की जनता निवास करती है जिनके जान को जोखिम में डालकर राज्य सरकार ने दून घाटी अधिसूचना हटाने का निर्णय लिया है अगर इसे शीघ्र वापिस नहीं लिया गया तो हम भविष्य में दून घाटी को बचाने के लिए एक बड़ा जन आंदोलन खड़ा करेंगे और राज्य सरकार और केंद्र सरकार को जगाने का काम।
ऋषिकेश के पूर्व कांग्रेस प्रत्याशी जयेंद्र रमोला ने कहा कि ऋषिकेश में प्रदूषण की मात्रा दिन-ब-दिन बढ़ रही है, गंगा किनारे लोग अतिक्रमण कर रहे है और ये दून घाटी अधिसूचना हटने से तो भारतवर्ष व हिन्दू धर्म की ऐतिहासिक नगरी ऋषिकेश का अस्तित्व ही खतरे में आ जायेगा।
महानगर अध्यक्ष डॉ जसविंदर सिंह गोगी ने कहा कि देहरादून का प्रदूषण स्तर देश के 10 सबसे बुरे प्रदूषित शहरों में आता है अतः राज्य सरकार का दून घाटी को तबाह करने का तुगलकी फरमान के खिलाफ कांग्रेस सड़कों पर निकलकर प्रदर्शन करेगी।
प्रेस वार्ता में प्रवक्ता अभिनव थापर, महानगर अध्यक्ष डॉ जसविंदर सिंह गोगी, ऋषिकेश के पूर्व कांग्रेस प्रत्याशी जयेंद्र रमोला, यमुनोत्री अध्यक्ष दिनेश चौहान, याकूब सिद्दीकी और सुलेमान अली ने भाग लिए।