फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया का इस्तेमाल सभी लोग कर रहे है, आए दिन लोग सोशल मीडिया में अपनी वीडियो भी शेयर कर रहे है.वही अब पुलिसकर्मी सोशल मीडिया पर अपनी वीडियो नही शेयर कर सकते है. उत्तराखंड पुलिस ने पुलिसकर्मियों के लिए इंटरनेट मीडिया नीति तैयार कर ली है।
वर्दी में रील बनाने वालो पर रोक
बता दे की कुल 41 तरह के क्रियाकलापों पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा। कोई भी पुलिसकर्मी अब वर्दी, सरकारी वाहन या दफ्तर में सोशल मीडिया के लिए रील या फोटो नहीं बना सकेगा।
पालन न करने वालों के खिलाफ होगी कार्रवाही
इसी कड़ी में पुलिस के मुख्य प्रवक्ता डॉ. निलेश आनंद भरणे ने बताया कि बीते कुछ समय से देखने में आ रहा था कि पुलिसकर्मी वर्दी में सोशल मीडिया पर वीडियो प्रसारित कर रहे हैं। इसके साथ ही बहुत से प्लेटफार्म पर सरकारी आदेशों को भी हूबहू प्रसारित किया जा रहा था। जिसे देखते हुए पुलिस कर्मियों के लिए इंटरनेट मीडिया नीति बनाई गई है। नियमों का पालन न करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाही की जाएगी.
ये हैं प्रतिबंधित गतिविधियां
- ड्यूटी के बाद वर्दी पहने किसी भी प्रकार की ऐसी वीडियो जिससे पुलिस की छवि धूमिल होती हो, इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म पर अपलोड किया जाना प्रतिबंधित रहेगा।
- सरकारी कार्य के दौरान अपने कार्यालय व कार्यस्थल पर वर्दी में वीडियो व रील बनाने और किसी भी कार्मिक की ओर से अपने व्यक्तिगत इंटरनेट मीडिया के प्लेटफार्म पर लाइव टेलीकास्ट प्रतिबंधित होगा।
- कार्यस्थल से संबंधित किसी वीडियो के जरिए शिकायतकर्ता के संवाद का लाइव टेलीकास्ट या वीडियो इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म पर प्रसारित करना भी प्रतिबंधित होगा।
- थाना, पुलिस लाइन, कार्यालय के निरीक्षण, पुलिस ड्रिल व फायरिंग में भाग लेने का लाइव टेलीकास्ट और कार्रवाई से संबंधित वीडियो इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित नहीं किए जाएंगे।
- पुलिसकर्मी की ओर से सरकारी और व्यक्तिगत इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म पर किसी प्रकार की कोचिंग, लेक्चर, लाइव प्रसारण, चेट इत्यादि में आमंत्रित किए जाने पर उसमें भाग लेने से पहले अपने वरिष्ठ अधिकारी को सूचित कर अनुमति प्राप्त करना अनिवार्य होगा।
- इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म से किसी भी व्यक्तिगत, व्यवसायिक कंपनी या उत्पाद व सेवा का प्रचार-प्रसार किया जाना प्रतिबंधित किया गया है।
- किसी भी गोपनीय सरकारी दस्तावेज, हस्ताक्षरित रिपोर्ट या पीड़ित के प्रार्थनापत्र को सरकारी या व्यक्तिगत इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म पर नहीं डाला जाएगा।
- पुलिस कार्मिकों की ओर से ऐसी कोई जानकारी साझा नहीं की जाएगी, जो उन्हें अपनी विभागीय नियुक्ति के कारण प्राप्त हुई हो।
- किसी भी गोपनीय सरकारी दस्तावेज, हस्ताक्षरित रिपोर्ट या पीड़ित के प्रार्थनापत्र को सरकारी या व्यक्तिगत इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म पर नहीं डाला जाएगा।
- किसी भी यौन शोषित पीड़िता या किशोर व किशोरी और विधि विवादित किशोर (जुवेनाइल आफेन्डर्स) की पहचान या नाम व अन्य संबंधित विवरण सरकारी और व्यक्तिगत इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म पर उजागर नहीं किया जाएगा।
- पुलिस के ‘सराहनीय कार्य’ से संबंधित पोस्ट में आरोपियों की फोटो व वीडियो सरकारी और व्यक्तिगत इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म पर ब्लर करने के बाद ही प्रसारित होगी।
- जिन आरोपियों की शिनाख्त परेड बाकी है उनका चेहरा इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित नहीं होगा।
- सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्राप्त पोस्ट, फोटो, वीडियो को बिना सत्यापन के फॉरवर्ड नहीं किया जाएगा।
- पुलिस कर्मियों द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर किसी भी व्यक्ति को ट्रोल या बुली नहीं किया जाएगा।
- सरकारी और व्यक्तिगत सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर पुलिस कार्मिकों द्वारा मित्रों का चयन करते समय सतर्कता बरतना अपेक्षित है। पुलिसकर्मी ऐसे किसी व्यक्ति को मित्र न बनाए या फॉलो न करें जो असामाजिक और आपराधिक गतिविधियों में लिप्त हो।
- पुलिसकर्मियों द्वारा गश्त या वाहन चैकिंग के दौरान मौके पर मोबाइल से फोटो या वीडियो लेते समय Geo Tagging के विकल्प को बंद रखा जाएगा।