पीड़ित एकसाथ सरकार की दो योजनाओं का लाभ नहीं ले पाएंगेे, वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं में आयुष्मान कार्ड या मुआवजा दोनों में से एक को चुनना होगा।
देहरादून: उत्तराखण्ड के श्रीनगर में कुछ महीनें पहले लगातार चल रहे गुलदार के हामलों के कारण नाईट कर्फ्यू लगा दिया गया था, वन विभाग के अनुसार उस वक्त शहर के आसपास के इलाकों में लगभग एक दर्जन गुलदार मानवीय बस्ती के आस-पास खुलेआम घूम रहे थे, जिसके कुछ ही दिनों के भीतर 3 गुलदारों को पकड़ा लिया और 1 को मार दिया गया। अभी कुछ दिन पहले ही तीन दिन के अंर्तराल में दो बच्चों को गुलदार नें अपना शिकार बनाया लिया जिसमें से एक की मौत भी हो गई है। ऐसी वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं में आर्थिक राहत के लिए वर्ष 2012 की नियमावली के तहत वन्यजीव संघर्ष में मृत या घायल पीड़ित को वन विभाग मुआवजा प्रदान करता था। वन विभाग की नई नियमावली आने के बाद वन्यजीव के हमले में घायल व्यक्ति अगर आयुष्मान कार्ड योजना के तहत इलाज कराता है तो उसे विभाग से किसी भी तरह का मुआवजा नहीं मिलेगा, यदि घायल व्यक्ति की इलाज के दौरान मृत्यु भी हो जाती है तो उसके आश्रित को भी किसी तरह का मुआवजा विभाग की तरफ से नहीं मिलेगा। इससे पहले 2012 की नियमावली के तहत वन विभाग वन्यजीव संघर्ष में साधारण, आंशिक या गंभीर रुप से घायल पूर्ण रूप से अपंग और मृत्यु हो जाने पर भी पीड़ित या मृतक आश्रितों को मुआवजा देने के लिए बाध्य था। अल्मोड़ा वन प्रभाग के डीएफओ दीपक सिंह ने बताया कि, “नई नियमावली के तहत अगर घायल ने आयुष्मान कार्ड योजना से इलाज कराया है तो उसे वनविभाग मुआवजा देने के लिए बाध्य नहीं होगा, क्योंकि कोई भी व्यक्ति सरकार की दो योजनाओं का लाभ एक साथ नहीं ले सकता है।”
मुआवजा के लिए दिखाना होगा प्रमाण पत्र।
वन्यजीव संघर्ष में घायल या मृतक व्यक्ति के आश्रितों को मुआवजा लेने के लिए अस्पताल में हुए उपचार का प्रमाण पत्र दिखाना होगा, यदि उसने आयुष्मान कार्ड योजना का लाभ नहीं लिया होगा तो ही उसे मुआवजे की धनराशि प्राप्त होगी।