नई दिल्ली। ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते सैन्य तनाव ने पूरे पश्चिम एशिया को संकट की ओर धकेल दिया है। इजरायल द्वारा ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमले के बाद हालात और गंभीर हो गए हैं। इस पूरे टकराव का सबसे संवेदनशील पहलू है हॉर्मूज की खाड़ी, जो अब भारत सहित कई देशों के लिए गंभीर चिंता का विषय बन चुकी है।
हॉर्मूज जलडमरूमध्य: वैश्विक तेल आपूर्ति की जीवनरेखा
यह जलमार्ग ईरान और ओमान के बीच स्थित है, जो फारस की खाड़ी को अरब सागर से जोड़ता है। यहां से दुनिया के कुल तेल सप्लाई का लगभग 20% हिस्सा होकर गुजरता है।
ईरान, इराक, सऊदी अरब, कतर और यूएई जैसे देश इसी रूट से तेल निर्यात करते हैं।
यदि यह रास्ता बाधित होता है तो तेल की वैश्विक कीमतें बेतहाशा बढ़ सकती हैं, जिससे कई देशों की ऊर्जा जरूरतों पर सीधा असर पड़ेगा|

भारत के लिए बड़ा झटका
भारत की ऊर्जा निर्भरता का सबसे अहम रूट हॉर्मूज की खाड़ी ही है।भारत करीब दो तिहाई तेल और लगभग 50% एलएनजी इसी रास्ते से आयात करता है।यदि यह मार्ग बंद हुआ तो भारत को वैकल्पिक स्रोत और मार्ग तलाशने होंगे, जिससे लागत और लॉजिस्टिक्स दोनों में इज़ाफा होगा।
तेल की कीमतें आसमान पर
ब्रोकरेज फर्म जेपी मॉर्गन के अनुसार, अगर यह संघर्ष और बढ़ता है तो कच्चे तेल की कीमत $120 प्रति बैरल से ऊपर जा सकती है।
ईरान-इजरायल के बीच बढ़ता तनाव भारत के लिए केवल कूटनीतिक चुनौती नहीं है, बल्कि आर्थिक और रणनीतिक स्तर पर भी गहरी चिंता का विषय है।