सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने आज देश के 50वें मुख्य न्यायाधीश के तौर पर पदभार ग्रहण किया. राष्ट्रपति भवन में हुए कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के पद की शपथ दिलाई. कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, सुप्रीम कोर्ट के जज, केंद्रीय मंत्री समेत तमाम गणमान्य लोग उपस्थित थे. केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रीजीजू ने इसकी जानकारी दी. चीफ जस्टिस के तौर पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का कार्यकाल 2 साल का रहेगा. वो 10 नवंबर 2024 को रिटायर होंगे.
राष्ट्रपिता के प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित की
राष्ट्रपति भवन में शपथ ग्रहण समारोह के तुरंत बाद CJI सुप्रीम कोर्ट परिसर में पहुंचे और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को पुष्पांजलि अर्पित की . इसके बाद उन्होंने अपने चेंबर में तिरंगे के सामने हाथ जोड़कर शीश झुकाया.
इस दौरान उन्होंने कहा, ”शब्दों से नहीं, काम करके दिखाएंगे. आम आदमी के लिए काम करेंगे. बड़ा मौका है, बड़ी जिम्मेदारी है. आम आदमी की सेवा करना मेरी प्राथमिकता है. आगे आप देखते जाइए, हम चाहे तकनीकी रिफॉर्म हो, रजिस्ट्री रिफॉर्म हो, ज्यूडिशियल रिफॉर्म हो, उसमें नागरिक को प्राथमिकता देंगे.”
फैसलों में दिखती है उनके व्यक्तित्व की छाप
जस्टिस चंद्रचूड़ कई संविधान पीठ और ऐतिहासिक फैसले देने वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठों का हिस्सा रहे हैं। इनमें अयोध्या भूमि विवाद, IPC की धारा 377 के तहत समलैंगिक संबंधों को अपराध की कैटेगरी से बाहर करने, आधार योजना की वैधता से जुड़े मामले, सबरीमला मुद्दा, सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने, भारतीय नौसेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने जैसे फैसले शामिल हैं।
पिता भी रहे भारत के मुख्य न्यायाधीश
जस्टिस चंद्रचूड़ के पिता भी देश के सीजेआई रहे हैं. उनके पिता का बतौर सीजेआई करीब सात साल और चार महीने का कार्यकाल रहा था, जो कि सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में किसी सीजेआई का अब तक सबसे लंबा कार्यकाल है. वह 22 फरवरी 1978 से 11 जुलाई 1985 तक प्रधान न्यायाधीश रहे थे.