उत्तराखंड के कण कण में देवों का वास है शायद इसलिए इसे देवभूमि कहा जाता है,धर्म स्थल होने की वजह से यहां बारहों महीने भक्तों का तांता लगा रहता है। वही देवभूमि के इस मंदिर में विभिन्न राज्यों से श्रद्धालु यहां आकर मन्नत मांगते हैं।
श्री सिद्धबली मंदिर हनुमान जी को समर्पित
हम बात कर रहे है ,उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में कोटद्वार के प्रसिद्ध श्री सिद्धबली मंदिर के बारे में ,यहां प्रदेश से ही नहीं बल्कि पूरे देश,विदेश से भक्त भगवान के दर्शन के लिए आते है। कोटद्वार में पौराणिक खोह नदी के तट पर सिद्धबली बाबा विराजमान है। सिद्धबली मंदिर हनुमान जी को समर्पित है कहते है की यहां सच्चे मन से पूजा अर्चना की जाए तो मुराद जरूर पूरी होती है। श्री सिद्धबली मंदिर में मनोकामना पूरी होने के बाद यहां मुराद पूरी होने पर भंडारा दिया जाता है। । यहां प्रसाद के तौर पर गुड़,बताशे और नारियल चढ़ाया जाता है।
2025 तक भंडारों की बुकिंग फुल
श्री सिद्धबली मंदिर में भक्तों की संख्या इतनी ज्यादा है कि मन्नत पूरी होने के बाद दिए जाने वाले विशेष भंडारों की बुकिंग फिलहाल 2025 तक फुल है। सिद्धबली हनुमान मंदिर में हर मंगलवार, शनिवार और रविवार को रोज भंडारा होता है। भारतीय डाक विभाग की ओर से साल 2008 में श्री सिद्धबली हनुमान मंदिर को समर्पित डाक टिकट भी जारी किया गया है।
सिद्धबली मंदिर का पौराणिक इतिहास
श्री सिद्धबली हनुमान मंदिर खोह नदी के किनारे करीब 40 मीटर ऊंचे टीले पर स्थित है। माना जाता है की हनुमान जी के इस मंदिर से आज तक कोई भी खाली हाथ नही लौटा, वही सिद्धबली मंदिर की पौराणिक मानयाता के अनुसार यहां पर हनुमान जी ने अपना रूप बदल कर गुरु गोरखनाथ का रास्ता रोक लिया था। जिसके बाद कई दिनों तक दोनों में भयंकर युद्ध हुआ। जब दोनों में से कोई पराजित नहीं हुआ तो हनुमान जी ने अनपा रूप धारण किया और सिद्धबाबा से वरदान मांगने को कहा। जिसके बाद बाबा सिद्ध ने हनुमान जी से वही रुकने की प्रार्थना की,जिसके बाद से ही हनुमान जी वहां के हो गए, इसी के बाद से ही सिद्धबाबा और बजरंग बली के नाम पर इस स्थान का नाम ‘सिद्धबली’रखा गया। माना जाता है की बजरंग बली अपने भक्तों की मदद करने को साक्षात रूप में यहां विराजमान रहते हैं।