उत्तराखंड सरकार ने कांवड़ यात्रा के दौरान सुरक्षा, पारदर्शिता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से यात्रा मार्ग पर स्थित सभी खाद्य व पेय पदार्थ विक्रेताओं को अपनी दुकानों पर स्वामित्व की जानकारी प्रदर्शित करना अनिवार्य कर दिया है। यह नियम मुख्यतः हरिद्वार, ऋषिकेश, टिहरी, देवप्रयाग और अन्य यात्रा मार्गों पर लागू होगा, जहां लाखों की संख्या में कांवड़ यात्री गुजरते हैं।

नए नियम का उद्देश्य
सरकार के अनुसार, अब प्रत्येक दुकान पर मालिक का नाम, मोबाइल नंबर और दुकान का विवरण स्पष्ट रूप से लिखा होना चाहिए। इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि अगर किसी श्रद्धालु को खराब भोजन, ओवरप्राइसिंग या मिलावट की शिकायत हो, तो उस दुकान को आसानी से पहचाना जा सके और तत्काल कार्रवाई की जा सके।
कैसे होगी कार्रवाई
यदि कोई विक्रेता इन निर्देशों का उल्लंघन करता पाया जाता है, तो उस पर ₹2 लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। यह नियम तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है और प्रशासनिक टीमें नियमित निरीक्षण कर रही हैं।
यात्रियों की शिकायतों के लिए टोल फ्री नंबर जारी
यात्रियों की सुविधा के लिए उत्तराखंड सरकार ने एक टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है, जहां लोग सीधे अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। खाद्य सुरक्षा विभाग, पुलिस और स्थानीय प्रशासन इस पूरी व्यवस्था की निगरानी कर रहे हैं।

पिछले अनुभवों से मिली सीख
हर साल कांवड़ यात्रा में बड़ी संख्या में अस्थायी दुकानें स्थापित होती हैं। इनमें से कई दुकानें बिना किसी पहचान या रजिस्ट्रेशन के काम करती हैं, जिससे यात्रियों की सुरक्षा को खतरा होता है। इसके अलावा, मिलावटी भोजन और अस्वच्छता जैसी समस्याएं पहले सामने आ चुकी हैं। इस बार सरकार ने इन समस्याओं पर सख्ती से नियंत्रण का निर्णय लिया है।
श्रद्धालुओं की भीड़ और धार्मिक आस्था के साथ-साथ व्यवस्था और जवाबदेही भी जरूरी है। सरकार का यह कदम न केवल खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि यात्रियों के अनुभव को भी अधिक सुरक्षित और सुव्यवस्थित बनाएगा।