बरसात का मौसम उत्तराखंड के लिए आफत बनकर आता है। बरसात में न जाने कितने लोगों की जिंदगियां उजड़ जाती है। भूस्खलन से कितने लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है। लेकिन अब उम्मीद की एक किरण जागी है। अब नए सिस्टम से दो दिन पहले भूस्खलन की चेतावनी लोगों को मिल जाएगी।
भूस्खलन से नहीं जाएगी जान
अब पहाड़ी क्षेत्रों में रह रहे लोगों के लिए एक खुशखबरी है, लोगों को भूस्खलन की जानकारी दो दिन पहले ही मिल जाया करेगी, जिससे लोग सर्तक हो जाएंगे। बता दे की आने वाले समय में मौसम के पूर्वानुमान की तरह भूस्खलन की भी दो से तीन दिन पहले चेतावनी जारी की जा सकेगी। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआई) नेशनल लैंडस्लाइड डिजास्टर मैनेजमेंट के तहत देश के सर्वाधिक भूस्खलन प्रभावित 11 राज्यों में लैंडस्लाइड अर्ली वार्निंग सिस्टम लगाने की दिशा में काम कर रहा है। यह काम वर्ष 2027 तक पूरा हो जाएगा।
प्रायोगिक तौर पर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले सहित देश के अन्य राज्यों के चार जिलों में यह सिस्टम लगाया गया है, जिससे प्राप्त आंकड़ों का लगातार विश्लेषण किया जा रहा है। भूस्खलन की संवेदनशीलता के लिहाज से देश में अरुणाचल और हिमाचल प्रदेश के बाद उत्तराखंड तीसरे पर है।
देश के चार जिलों में लगाया गया सिस्टम
यह सिस्टम देश के जिलों में विकसित किया जा रहा है। इसमें उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले सहित नीलगिरि, दार्जिलिंग और कलिम्पोंग भी शामिल हैं। फिलहाल, यह अभी प्रायोगिक तौर पर है।बता दे की फिलहाल यह डाटा जन समुदाय के लिए उपलब्ध नहीं है।