देहरादून। साधु भूखा भाव का ,धन का भूखा नाहिं। धन का भूखा जो फिरै,सो तो साधु नाहिं।।
कबीर दास की इन पंक्तियों को 15 साल से चरितार्थ कर रहे हैं राज्य आंदोलनकारी एवं भाजपा नेता बीर सिंह पंवार। पंवार दूसरों के लिए एक मिसाल हैं, जज्बा हो तो खुद ही आसान हो जाती है मुश्किलें ।यह स्लोगन सहज ही मन की उत्कंठा से निकल आते हैैं बीर सिंह पवार के लिए।जो विगत कुछ वर्षों से समाज सेवा में अपनी पहचान बना चुके हैं। आज एक बार फिर पंवार ने दरियादिली दिखाते हुए इंसानियत को जिंदा रखा । कल आमबाग हरभज वाला निवासी प्रकाश चंद जो एक गरीब मजदूर था उसकी मौत हो गई थी। घर में पत्नी और दो नाबालिग बच्चे हैं अंतिम संस्कार के लिए घर में एक भी पैसा नहीं था। ऐसे में आस- पड़ोस वाले पैसे इकट्ठे करने लगे, तो इतने में किसी ने भाजपा नेता बीर सिंह पंवार को फोन पर सूचना दी। और पंवार आज सुबह उनके घर पहुंचे और इस गरीब मजदूर के अंतिम संस्कार के लिए आर्थिक मदद की। साथ ही दोनों बच्चों को आगे भी हर संभव मदद का भरोसा दिया। प्रकाश चंद की धर्मपत्नी को भी नौकरी दिलाने का आश्वासन दिया। स्थानीय लोगों ने पंवार की दरियादिली की भूरी -भूरी प्रशंसा की।
पंवार ने अभी हाल में पांच अनाथ बच्चियों को गोद संस्था से गोद लेकर उनकी पढ़ाई-लिखाई की जिम्मेदारी समाजसेवी बीर सिंह पंवार ने अपने कंधों पर ले ली है ।टिहरी जनपद के चम्बा विकास खंड की बमुंड पट्टी के जड़धार गांव में जन्मे पंवार ने बचपन से काफी संघर्ष किया । बचपन में उनके पिताजी जो एक कृषक थे, का देहांत हो गया था । घर में बड़े होने के नाते मां एक भाई और एक बहिन की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई ।लेकिन पंवार के जज्बे को सलाम ।उन्होंने संघर्ष कर खुद की पढ़ाई के साथ भाई _,बहिन की पढ़ाई की जिम्मेदारी के साथ घर को भी संभाला । 1993 में बीर सिंह पंवार अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्य के रूप में कार्य करने लगे । इसी समय चंबा डिग्री कॉलेज में विद्यार्थी परिषद की ओर से पंवार को छात्रसंघ का महासचिव का चुनाव लड़वाया और वे महासचिव बने । राज्य आंदोलन के दौरान सक्रिय भूमिका निभाई। लेकिन स्नातक करने के बाद घर की जिम्मेदारी को देखते हुए उन्होंने देश की राजधानी दिल्ली की ओर रुख किया ।और नौकरी कर घर परिवार को संभाला। 2004 में पुनः उत्तराखंड की राजधानी में अपना कार्य स्थापित किया । और समाज सेवा से जुड़ गए। काफी संघर्ष के बाद वे इस मुकाम पर हैं कि वह समाज सेवा में एक मिसाल बन रहे हैं । पंवार अपनी कमाई का 20%हिस्सा समाज सेवा में लगाने का दृढ़ निश्चय लिया है । केदारनाथ आपदा के बाद 2 गांव को गोद देकर अपने अलग पहचान बनाई। कोविड-19 के दौरान कारगी चौक में उनके द्वारा मोदी किचन के माध्यम से प्रत्येक दिन पंद्रह सौ से दो हजार असहाय, गरीब ,जरूरतमंद लोगों को भोजन की व्यवस्था करवाई। इसके साथ उन्होंने कई जरूरतमंद लोगों को खाद्य सामग्री घर तक पहुंचाने का काम किया । इस साल कोरोना की दूसरी लहर में उन्होंने लोगों को मेडिकल किट घर-घर तक पहुंचाने का काम किया। जिसकी पूरे क्षेत्र में भूरी -भूरी प्रशंसा की गई।कैंट क्षेत्र के राजेंद्र विहार में उन्होंने 70 गज भूमि मंदिर के लिए दान देकर उस पर एक भव्य मंदिर का निर्माण कार्य उनके द्वारा किया जा रहा है। अभी कुछ दिन पूर्व गोद संस्था ने उनसे कुछ अनाथ बच्चियों के बारे में चर्चा की तो पंवार ने पांच बच्चियों को गोद लेकर उनकी पढ़ाई-लिखाई की जिम्मेदारी अपने कंधों पर लेकर एक नेक कार्य किया । पंवार की एक खासियत यह है कि वह जनसेवा दिखावे के लिए नहीं बल्कि दिल से सेवाभाव करते दिखाई देते हैं । निस्वार्थ भाव से उनके द्वारा जो भी कार्य किए जाते हैं आम जनता में उनके कार्यों की सराहना की जाती है। अहले सुबह उठकर कई लोग उनके घर में अपनी समस्याओं को लेकर जाते हैं । उनकी समस्याओं को पंवार हर संभव निदान करने की कोशिश करते हैं ।यह उनकी दिनचर्या का एक हिस्सा है। लगातार एक समाजसेवी के रूप में कार्य करते वे दिखाई देते हैं उनकी लोकप्रियता एक समाजसेवी के रूप में बन गई है हर जरूरतमंद की सहायता के लिए बीर सिंह पंवार आगे रहते हैं।