उत्तराखंड में काफी ठंड पड़नी शुरु हो गई है, इसी बीच पहाड़ी इलाकों में भी काफी ठंड बढ़ गई है .जिसके कारण लोगें के साथ साथ जंगली जानवरों को भी भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है .वही उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी के बाद हिमालयन थार के झुंड ठंड से बचने के लिए निचले इलाकों में दिखाई दे रहे है।
चोपता मे थार के कई समूह घूमते आए नजर
रुद्रप्रयाग के चोपता, तुंगनाथ सहित आसपास के क्षेत्र में हिमालय थार के कई समूह घूमते नजर आ रहे है, जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन रहा है. उत्तराखंड में काफी ठंड पड़नी शुरु हो गई है, इसी बीच पहाड़ी इलाकों में भी काफी ठंड बढ़ गई है .जिसके कारण लोगें के साथ साथ जंगली जानवरों को भी भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है .वही उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी के बाद हिमालयन थार के झुंड ठंड से बचने के लिए निचले इलाकों में दिखाई दे रहे है।
थार का प्रिय भोजन ब्रह्मकमल
बता दे की मक्कू गांव निवासी और पक्षी विशेषज्ञ यशपाल सिंह नेगी ने बताया कि नर थार उच्च हिमालय में 16,000 फीट ऊंचाई वाले क्षेत्रों में प्रवास करता है। जहां इसका प्रिय भोजन ब्रह्मकमल होता है, लेकिन शीतकाल शुरू होते ही इस जानवर के लिए भोजन की कमी होने लगती है.जिससे थार को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
अप्रैल में मूल स्थानों की तरफ चले जाते है थार
यह दिसंबर के अंत में निचले इलाकों में आते हैं और मार्च माह तक आठ से 12 हजार फीट की ऊंचाई तक प्रवास करते हैं। जैसे ही अप्रैल में मौसम अनुकूल होता है, यह वन्य जीव फिर ऊंचाई वाले अपने मूल स्थानों की तरफ चले जाते हैं।
कोरोनाकाल के बाद बढ़ा थार का कुनबा
कोरोनाकाल के बाद से इस जीव का कुनबा बढ़ता नजर आ रहा है। जनवरी से मार्च माह हिमालयन थार का प्रजनन काल भी होता है। रुद्रप्रयाग वन प्रभाग के डीएफओ अभिमन्यु ने बताया कि इन दिनों चोपता, तुंगनाथ और उसके आसपास के वन क्षेत्र में हिमालयन थार काफी संख्या में विचरण कर रहे हैं, इसी कड़ी में वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए रेंज अधिकारियों को निरंतर गश्त के निर्देश दिए गए हैं।