देहरादून: फरवरी साल 2019…ये दिन देश के लिए BLACK DAY होता है …ये दिन देश को गहरा जख्म दे गया। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में साल 2019 में हुए आतंकी हमले में देश ने अपने 44 जवानों को खो दिया था, जिनमें उत्तराखंड के भी 2 सपूत शामिल थे।
Black day
इसके बाद हुए एनकाउंटर अटैक में देहरादून के मेजर चित्रेश बिष्ट और मेजर विभूति ढौंडियाल भी शहीद हो गए थे। पुलवामा हमले की घटना को सालों बीत गए, लोगों की जिंदगी आगे बढ़ गई, लेकिन जिन परिवारों के सिर से रहनुमा का साया उठा था, वो अब भी दर्द में हैं। आइये आज पुलवामा में शहीद होने वाले वीर सपूतों को याद करें
घर में थी शादी की तैयारी उधर शहीद हो गए लाल
मेजर चित्रेश की शहादत की खबर उस समय आई जबकि उनके घर पर शादी की तैयारियां चल रही थीं। क्योंकि मेजर चित्रेश की शादी सात मार्च 2019 को होनी थी इसलिए शादी के कार्ड भी बंट चुके थे। इससे पहले दून का यह लाल देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गया। मेजर चित्रेश को मरणोपरांत सेना मेडल (गैलेंट्री) मिला जो कि सेना दिवस पर सेना प्रमुख से उनके पिता ने प्राप्त किया था। शहीद मेजर चित्रेश बिष्ट दून के ओल्ड नेहरू कॉलोनी के रहने वाले थे।
पहली सालगिरह पर किया था घर आने का वादा
पुलवामा में आतंकी हमले के बाद चले सर्च ऑपरेशन में 18 फरवरी को देहरादून के मेजर विभूति ढौंडियाल भी शहीद हुए थे। अपनी शादी की पहली सालगिरह पर उन्होंने घर आने का वादा किया था, लेकिन घर उनका तिरंगे में लिपटा पार्थिव शरीर आया। वर्तमान में विभूति के घर में मां, पत्नी और एक अविवाहित बहन हैं। उनकी पत्नी सेना में भर्ती हो चुकी हैं।
छुट्टी बिताकर ड्यूटी पर लौटे
शहीद मोहन लाल रतूड़ी मूलरूप से उत्तरकाशी चिन्यालीसौड़ के रहने वाले थे। वो साल 1988 में सीआरपीएफ का हिस्सा बने थे। मोहनलाल के बड़े बेटे शंकर रतूड़ी ने बताया कि पिता हमेशा देश की रक्षा को लेकर उनसे बातें करते थे। छत्तीसगढ़ में नक्सली क्षेत्र हो या फिर जम्मू के आतंकी क्षेत्र, इनके कई किस्से मोहनलाल ने बच्चों को सुनाए थे। 27 दिसंबर 2018 को मोहनलाल एक माह की छुट्टी बिताकर ड्यूटी पर लौटे थे, लेकिन उस वक्त किसे पता था कि मोहनलाल अब कभी जिंदा नहीं लौट सकेंगे। उन्होंने फोन पर जल्द ही घर आने की बात कही थी, लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा हो नहीं सका।
दो बच्चों के सिर से उठा था बाप का साया
ऊधमसिंह नगर जिले के खटीमा के मोहम्मदपुर भुढ़िया गांव के जवान वीरेंद्र सिंह भी पुलवामा में हुए आत्मयघाती हमले में शहीद हुए थे। वीरेंद्र सिंह के दो बच्चे हैं, जिनके सिर से असमय ही पिता का साया उठ गया। शहीद वीरेंद्र सिंह के दो बड़े भाई जय राम सिंह व राजेश राणा हैं। जयराम सिंह बीएसएफ के रिटायर्ड सूबेदार हैं, जबकि राजेश राणा घर में खेती बाड़ी का काम देखते हैं।