प्रदेश में नवीकरणीय ऊर्जा के प्रोजेक्ट लगाने महंगे होंगे, जिससे इनसे मिलने वाली बिजली भी महंगी होगी।
उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग इसके लिए नवीकरण ऊर्जा स्त्रोतों और गैर जीवाश्म ईंधन आधारित सह उत्पादक स्टेशनों से बिजली आपूर्ति हेतु शल्क एवं अन्य निबंधन विनियम 2023 लाने जा रहा है।
आयोग का कहना है कि पांच साल में पावर प्रोजेक्ट निर्माण से जुड़ी सभी सामग्रियां महंगी हो गई हैं। इस वजह से पूंजीगत लागत बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है। इसका ड्राफ्ट जारी करते हुए आयोग ने 13 जून को जनसुनवाई तय की है।
आयोग ने नए अधिनियम का ड्राफ्ट जारी किया है। यह अगले पांच साल के लिए लागू होगा। इसके तहत सभी तरह के पावर प्रोजेक्टों की पूंजीगत लागत बढ़ाने का प्रस्ताव किया है।
पूंजीगत लागत बढ़ने से इन प्रोजेक्ट से जो बिजली पैदा होगी, उसका टैरिफ भी बढ़ जाएगा। जिससे लोगों को महंगी बिजली मिलेगी।
आयोग ने वायु ऊर्जा प्रोजेक्ट, हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट से हर साल यूपीसीएल के लिए निश्चित प्रतिशत में बिजली खरीद अनिवार्य की है। 2023-24 में हाइड्रो से कुल बिजली खपत का 0.66 प्रतिशत, अगले साल 1.08, 2025-26 में 1.80 प्रतिशत बिजली यूपीसीएल को खरीदनी होगी। इसी प्रकार, विंड एनर्जी से भी बिजली खरीद के लिए प्रतिशत तय किया गया है। वहीं, अन्य माध्यमों जैसे गैस आधारित या कोयला आधारित पावर प्रोजेक्ट से बिजली खरीद की भी प्रतिशत तय करी गई है।