देहरादून से सामने आई एक गंभीर शैक्षिक अनियमितता में उत्तराखंड लोक सेवा आयोग (UKPSC) द्वारा आयोजित समीक्षा अधिकारी (RO) परीक्षा के मूल्यांकन में गड़बड़ी पाई गई है। आरटीआई के माध्यम से सामने आए तथ्यों में पता चला कि एक अभ्यर्थी को पहले 23 अंक दिए गए थे, लेकिन बाद में काटकर 15 अंक कर दिए गए।

आरटीआई से उजागर हुई असंगतियां
अभ्यर्थी आयुष ने इस मामले में सूचना के अधिकार (RTI) के तहत जानकारी प्राप्त की, जिससे साफ हुआ कि मूल्यांकन में न सिर्फ अंक घटाए गए बल्कि कुछ उत्तरों को पूरी तरह से शून्य अंक देकर गलत ठहराया गया, जबकि वे उत्तर उत्तरमाला और संदर्भ पुस्तकों के अनुसार सही थे।
कब और कैसे हुआ मामला सामने
यह मामला तब सामने आया जब आयुष ने अपने परीक्षा परिणाम पर संदेह होने पर आयोग से RTI के तहत उत्तर पुस्तिका की प्रति मांगी। विश्लेषण के दौरान उन्हें पता चला कि कई उत्तरों को गलत बताते हुए जानबूझकर अंक नहीं दिए गए, जबकि वही उत्तर अन्य छात्रों को अंक दिला चुके थे।
अभ्यर्थी की मांग और शिकायत
अभ्यर्थी ने आयोग के खिलाफ शिकायत दर्ज कर पुनर्मूल्यांकन की मांग की है। आयुष का कहना है कि यह केवल उनके साथ नहीं, बल्कि कई अन्य छात्रों के साथ भी हुआ हो सकता है, जिससे चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

प्रक्रिया में पारदर्शिता पर उठे सवाल
इस पूरे घटनाक्रम ने UKPSC की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है। जहां एक ओर आयोग पर निष्पक्ष परीक्षा आयोजन का दायित्व होता है, वहीं ऐसी घटनाएं युवाओं के विश्वास को कमजोर करती हैं और उनके करियर को प्रभावित कर सकती हैं।
क्या आगे उठाए जाएंगे कदम
अब देखना होगा कि आयोग इस शिकायत पर क्या संज्ञान लेता है। यदि पुनर्मूल्यांकन की प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से की जाती है, तो यह भविष्य में ऐसी अनियमितताओं को रोकने की दिशा में एक उदाहरण बन सकता है।
परीक्षाओं की शुचिता और पारदर्शिता शिक्षा व्यवस्था की नींव होती है। देहरादून में समीक्षा अधिकारी परीक्षा को लेकर उठे यह सवाल पूरे तंत्र की जवाबदेही को रेखांकित करते हैं, जिससे समय रहते निपटना आवश्यक है।