हिंदू धर्म आचार्य सभा ने शुक्रवार को भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) को एक खुला पत्र लिखकर भारत में समलैंगिक विवाह को वैध बनाने पर चिंता व्यक्त की। संस्था के अध्यक्ष और प्रमुख हिंदू नेता स्वामी अवधेशानंद ने ट्विटर पर पत्र साझा करते हुए कहा कि समलैंगिक विवाह को वैधता प्रदान करना “मानव अस्तित्व के लिए हानिकारक” होगा।
अवधेशानंद ने आगे अपने पत्र में लिखा कि भारत 146 करोड़ की आबादी का देश भर नहीं है, बल्कि यह प्राचीन वैदिक सनातन धर्म-संस्कृति, परंपरा और आदिम मानवीय संवेदनाओं की विरासत है, जहां विवाह एक बहुत ही पवित्र और कल्याणकारी अनुष्ठान है, यह परिवार के विकास, पारिवारिक मूल्यों और सामाजिक जिम्मेदारियों के संरक्षण के भीतर पुरुषों और महिलाओं को एकीकृत करता है।
जहां विवाह एक अत्यंत पवित्र कल्याणकारी संस्कार है। जो स्त्री पुरुष को वंश वृद्धि, पारिवारिक मूल्यों के संरक्षण और सामाजिक उत्तरदायित्वों के भीतर एकीकृत करता है। इसलिए समलैंगिकता का वैधीकरण विवाह भारत जैसे देश में भीषण विसंगतियों का कारण बनकर भारत राष्ट्र की दिव्य वैदिक मान्यताओं, सांस्कृतिक प्रथाओं और सामाजिक विकास की विविध साधन पद्धतियों को ध्वस्त कर मानवीय अस्तित्त्व के लिए अनिष्टकारक सिद्ध होगा।
अवधेशानंद ने लिखा, “समलैंगिक विवाह को वैध बनाना भारत जैसे देश में गंभीर विसंगतियों को पैदा करके। इससे एक राष्ट्र की दिव्य वैदिक मान्यताओं, सांस्कृतिक प्रथाओं और सामाजिक विकास के विभिन्न तरेकों को नष्ट करके मानव अस्तित्व के लिए हानिकारक साबित होगा।
भरत के शीर्ष धर्माचार्य संत सतपुरुष इस तरह के अप्राकृतिक विचारों से स्तब्ध हैं। इस तरह की अनुचित और अनैतिक प्रथाएं भारत में पूरी तरह से अस्वीकार्य हैं, “स्वामी अवधेशानंद ने ट्विटर पर लिखा। सीजेआई को लिखे पत्र में ‘एलजीबीटीक्यू पार्टनर्स रजिस्ट्री’ या अन्य संस्थागत प्रावधानों के बारे में भी ‘सुझाव’ दिया है, ताकि ‘विवाह की पवित्र प्रथा में हस्तक्षेप किए बिना’ एलजीबीटीक्यू समुदाय की रक्षा की जा सके और उन्हें अधिकार प्रदान किए जा सकें।