22 जनवरी को अयोध्य में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम होना है . जिसे लेकर पूरे देश में उत्साह का माहौल है. वही चीन और नेपाल सीमा से लगे उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में भी जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है। इस उत्साह का कारण भी है। माता सीता के मायके जनकपुर नेपाल से सटे लोग मानते हैं की श्रीराम के चरण उनकी भूमि पर पड़े थे।
भगवान शिव का मंदिर किया था स्थापित
लोगों की माने तो राम जी ने हिमालय से निकलने वाली दो पवित्र नदियों रामगंगा और सरयू के संगम स्थल पर अपने अराध्य भगवान शिव का मंदिर स्थापित किया था यही से उन्होंने स्वर्गारोहण किया। यही नहीं उन्होंने अपने भाइयों के साथ यहां शस्त्र व शास्त्र की शिक्षा भी गुरु वशिष्ठ से ग्रहण की।
राजकुमारों को गुरु वशिष्ठ ने दी शिक्षा
पिथौरागढ से कुछ ही दूर स्थित रामेश्वर धाम की मान्यता भी हरिद्वार और पवित्र धाम की तरह ही है।लोगों की माने तो गुरु वशिष्ठ श्री राम समेत चारों राजकुमारों को हिमालय की घाटियों की ओर लाए थे। यहां मानसरोवर झील से निकली सरयू और रामगंगा के संगम पनार में वशिष्ठ ऋषि ने आश्रम बनाया और राजकुमारों को शस्त्र-शास्त्र की शिक्षा दी।
मंदिर में देश विदेश से आते है भक्त
भगवान श्री राम ने राजपाठ छोड़ने के बाद यहीं प्राकृतिक रूप से शिवलिंग की पूजा कर शिव मंदिर की स्थापना की। यहीं से उन्होंने स्वर्ग के लिए आरोहण किया। स्कंद पुराण में मंदिर में शिव पूजन के बाद राम के स्वर्गारोहण व अयोध्यावासियों के रामेश्वर आने का ज्रिक भी है। चंद शासनकाल में यहां बड़े धार्मिक आयोजन कराए जाते थे। जिसमें देश भर के साधु-संत भी पहुंचते थे। मंदिर के पुजारी आनंद के अनुसार मकर संक्राति के दिन इस बार भव्य मेला संगम पर लगेगा। साथ ही मंदिर को दीपों से जगमग किया जाएगा।