उत्तराखंड को देवों की भूमि बोला गया है। एक ऐसी भूमि जहां देवी-देवता निवास करते हैं। हिमालय की गोद में बसे इस सबसे पावन क्षेत्र को मनीषियों की पूर्ण कर्म भूमि कहा जाता है। उत्तराखंड में देवी-देवताओं के कई चमत्कारिक मंदिर भी हैं। इन मंदिरों की प्रसिद्धि भारत ही नहीं बल्कि विदेशों तक फैली हुई है। इन्हीं में से एक मंदिर गोलू देवता का भी है। गोलू देवता को स्थानीय मान्यताओं में न्याय का देवता कहा जाता है।
अल्मोड़ा से कुछ ही दूरी पर मंदिर
चितई गोलू मंदिर अल्मोड़ा से आठ किलोमीटर दूर पिथौरागढ़ हाईवे पर है। यहां गोलू देवता का भव्य मंदिर है। मंदिर के अंदर सेफेद घोड़े में सिर पर सफेट पगड़ी बांधे गोलू देवता की प्रतिमा है, जिनके हाथों में धनुष बाण है।
भगवान शिव का ही एक अवतार है गोलू देवता
गोलू देवता को स्थानीय संस्कृति में सबसे बड़े और त्वरित न्याय के देवता के तौर पर पूजा जाता है। इन्हें राजवंशी देवता के तौर पर पुकारा जाता है। गोलू देवता को उत्तराखंड में कई नामों से पुकारा जाता है। इनमें से एक नाम गौर भैरव भी है। बता दे की गोलू देवता को भगवान शिव का अवतार माना गया है . यही नही भक्तों की मनोकामना पूरी होने पर भक्त मंदिर में घंटी चढ़ाते है.
न्याय के देवता गोलू देवता
गोलू देवता को न्याय का देवता कहा गया है इसी के कारण है की भक्त चितई गोलू मंदिर में मन्नत मांगने के लिए चिट्ठी लिखते हैं।इतना ही नहीं कई लोग तो स्टांप पेपर पर लिखकर अपने लिए न्याय मांगते हैं ,ऐसा कहा जाता है कि जिनको न्याय नहीं मिलता वो गोलू देवता की शरण में पहुंचते हैं और उसके बाद उनको न्याय मिल जाता है , मन्नत पूरी होने पर यहा भक्त घंटे को चढ़ाते है .
मनोकामना पूरी होने पर घंटियों चढ़ाई जाती है
गोलू देवता अपने न्याय के लिए दूर-दूर तक मशहूर हैं। हालांकि, उत्तराखंड में गोलू देवता के कई मंदिर हैं, लेकिन इनमें से सबसे लोकप्रिय और आस्था का केंद्र अल्मोड़ा जिले में स्थिति चितई गोलू देवता का मंदिर है। इस मंदिर परिसर में भक्तों की भीड़ और लगातार गुंजती घंटियों की आवाज से ही गोलू देवता की लोक प्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है .