उमरुखुर्द इस्लामनगर वार्ड 4 निवासी इरफान की चार वर्षीय मासूम बेटी वार्ड के ही एक आंगनबाड़ी केंद्र में पढ़ती थी। 29 मार्च 2019 को एक नाबालिग ने मामा बनकर मासूम को आंगनबाड़ी केंद्र से अगवा कर लिया था। जिसके बाद उसने चाचा रिजवान के साथ मिलकर मासूम की बेरहमी से हत्या कर दी थी। बाद में उसके शव को सत्रहमील चौकी क्षेत्र के भिलैया गांव से लगे जंगल में फेंक दिया था।
देर रात को पुलिस ने हत्यारोपी की निशानदेही पर बच्ची का शव बरामद कर लिया था। साथ ही इस मामले में इरफान की तहरीर पर विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया था। मामले की विवेचना तत्कालीन कोतवाल संजय पाठक एवं एसएसआइ देवेंद्र गौरव ने की थी। जिसमें मासूम की दादी समसीरन व बुआ खुशनुमा के नाम भी प्रकाश में आए थे। इन्होंने परिवारिक कलह के चलते इरफान को सबक सिखाने के लिए उक्त घृणित कृत्य किया था।
यह मामला अपर जिला एवं सत्र न्यायधीश की अदालत में पहुंचा। इस मामले में पुलिस ने 27 मई 2019 को न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल कर दिए थे। अभियोजन पक्ष की ओर से सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी सौरभ ओझा ने पैरवी करते हुए 15 गवाहों को पेश किया।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायाधीश मुंडे ने चाचा रिजवान, दादी समसीरन एवं बुआ खुशनुमा को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही उन्हें 25-25 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया है। जबकि एक नाबालिग का मामला किशोर न्यायालय में चल रहा है।