देहरादून।
हाल में हुए हेलीकॉप्टर हादसों ने शासन को हेली सेवाओं की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर तरीके से सोचने के लिए मजबूर कर दिया है। इस सिलसिले में सरकार ने एक अहम कदम उठाते हुए हेली संचालन की मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) तैयार करने का निर्णय लिया है।

हेली सेवाओं की बढ़ी मांग
पिछले कुछ वर्षों में उत्तराखंड जैसे दुर्गम पर्वतीय क्षेत्रों में हेली सेवाओं की मांग बढ़ी है, लेकिन सुरक्षा चूक और तकनीकी कारणों से कई दुर्घटनाएं सामने आई हैं। इन्हीं घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए सरकार ने SOP बनाने का निर्णय लिया। यह निर्णय जून 2025 में लिया गया।
SOP का निर्माण कार्य
गृह सचिव की अध्यक्षता में 10 सदस्यीय एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया गया है, जिसमें नागरिक उड्डयन, पुलिस, पर्यटन, आपदा प्रबंधन और तकनीकी विशेषज्ञों को शामिल किया गया है।
नए SOP में हेलीपैड के मानकों, उड़ान से पहले की चेकलिस्ट, मौसम की समीक्षा, पायलट की योग्यता, आपातकालीन प्रतिक्रिया व्यवस्था और यात्री सुरक्षा से जुड़े विस्तृत दिशा-निर्देश शामिल होंगे।

आपदा प्रभावित क्षेत्र में लागू होगा निर्णय
उत्तराखंड के सभी हेली रूट, खासकर चारधाम यात्रा, आपदा प्रभावित क्षेत्र और दुर्गम गांवों में संचालित हेली सेवाओं पर यह SOP लागू किया जाएगा।
कार्यान्वयन की प्रक्रिया
समिति 30 दिनों में प्रारूप तैयार कर शासन को सौंपेगी, जिसके बाद इसे कैबिनेट की मंजूरी से लागू किया जाएगा। इसके तहत हेली कंपनियों को नए दिशा-निर्देशों का पालन अनिवार्य होगा।
यह कदम न केवल यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि उत्तराखंड के पर्यटन और आपदा प्रबंधन तंत्र को भी अधिक सुदृढ़ बनाएगा।