देहरादून:
तीर्थाटन की दृष्टि से प्रमुख माने जाने वाले उत्तराखंड में इस वर्ष चारधाम यात्रा के साथ-साथ अन्य धार्मिक स्थलों पर भी श्रद्धालुओं की संख्या में जबरदस्त वृद्धि देखी जा रही है। इससे न केवल धार्मिक आस्था को बल मिल रहा है, बल्कि प्रदेश की ग्रामीण और पर्वतीय अर्थव्यवस्था को भी नया जीवन मिला है।
चारधाम यात्रा के तहत अब तक 32 लाख से अधिक तीर्थयात्री दर्शन कर चुके हैं, जबकि 44 लाख से अधिक पंजीकरण हेमकुंड साहिब समेत विभिन्न धार्मिक स्थलों के लिए हो चुके हैं। लेकिन खास बात यह है कि अब राज्य के अन्य मंदिरों जैसे कार्तिकेय स्वामी मंदिर (रुद्रप्रयाग) और जगन्नाथ मंदिर (उत्तरकाशी) में भी तीर्थयात्रियों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है।

तीर्थाटन का दायरा बढ़ा, स्थानीय जीवन को मिला सहारा
सरकार की रणनीति केवल चारधाम तक सीमित नहीं है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अन्य मंदिरों को भी धार्मिक पर्यटन के नक्शे पर लाने के लिए प्रचार-प्रसार और बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर दिया है। इसका परिणाम यह है कि गत वर्ष जहां कार्तिकेय स्वामी मंदिर में लगभग 4 लाख श्रद्धालु पहुंचे थे, वहीं इस बार भी वहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं।
उत्तरकाशी के जगन्नाथ मंदिर में इस वर्ष अब तक 25 हजार तीर्थयात्री पहुंच चुके हैं। इसी तरह की गतिविधियां अन्य तीर्थ स्थलों पर भी देखने को मिल रही हैं।

होटल, परिवहन और रोजगार को बढ़ावा
इन तीर्थस्थलों में श्रद्धालुओं की बढ़ती आमद के चलते स्थानीय स्तर पर होटल, रेस्टोरेंट, परिवहन सेवाओं, प्रसाद विक्रेताओं और अन्य व्यापारिक गतिविधियों में तेज़ी आई है। इससे स्थानीय निवासियों की आजीविका में सुधार हो रहा है और प्रदेश की अर्थव्यवस्था को नई ऊर्जा मिल रही है।
मुख्यमंत्री का दृष्टिकोण

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का मानना है कि:
“उत्तराखंड के समग्र विकास के लिए सभी क्षेत्रों में तीर्थाटन, पर्यटन की गतिविधियां तेज़ होना आवश्यक है। उत्तराखंड देवभूमि है, यहां प्रत्येक देवालय का अपना महत्व है। सरकार सभी तीर्थ स्थलों में बुनियादी सुविधाएं विकसित करने का प्रयास कर रही है।”