उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले के मस्ताड़ी गांव के लोग अनिश्चित काल केलिए हड़ताल पर बैठ गए हैं. ग्रामीणों का यह हड़ताल प्रशासन के खिलाफ है. क्योंकि, गत वर्ष मस्ताड़ी के कई घरों के अंदर जमीन से पानी फूटा था, जिसकी वजह से गांव के कई घरों में दरारें आ गई थी. तब प्रशासन ने वहां पर भूगर्भीय सर्वे करवाया था. लेकिन उसके बाद उसी वर्ष (गत वर्ष) बरसात रुकने के बाद भी मस्ताड़ी गाँव की समस्या को नजरअंदाज किया, ध्यान नहीं दिया गया. और अब इस वर्ष की बरसात में वे दरारें और भी गहरी होती जा रही है. फ़िर ग्रामीणों की मांग पर प्रशासन ने निरीक्षण किया और उच्चस्तरीय भूगर्भीय सर्वे का आश्वासन दिया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
जिसके कारण अब ग्रामीणों ने अपने गांव,अपने घरों को बचाने केलिए भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं. सभी ग्रामीण प्रधान सत्यनारायण सेमवाल के नेतृत्व में गांव के मंदिर यह धरना दे रहे हैं. इस पर गांव के प्रधान ने कहा कि, “प्रशासन हमारे गांव को बचाने का प्रयास भी नहीं कर रहा हैं. इसलिए आपदा में मरने से अच्छा है कि अपनी हक के लिए भूख हड़ताल कर ही मरें. और हमारा भूख हड़ताल तब तक जारी रहेगी जब तक धरातल पर कार्य नहीं होता है.”
बता दें, इस भूख हड़ताल में रामानंद सेमवाल, सुंदर लाल, रामजी, शंकर, देवी प्रसाद, गणेश नौटियाल, मातेश्वरी देवी, मोहित, कलावती, जसपाल, जयप्रकाश, मनसाराम, सुरेश राणा, शाखा देवी आदि उपस्थित थे.