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क्यों सीएम धामी से खुंदक में हैं पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, पढ़िए पूरी कहानी

by news24desk
April 1, 2025
in Big News, Uttarakhand
Reading Time: 1 min read
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उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बीते दिनों पहले संसद में अवैध खनन का मुद्दा उठाकर अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है. उनके इस बयान ने सियासी हलचल तेज कर दी है. राजनीतिक गलियारों में अब यह चर्चा होने लगी है कि क्या रावत अभी भी 2021 में मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के दर्द से उभर नहीं पाए हैं? या फिर ये उनकी अवैध खनन को लेकर सच बोलने की बेबाकी है?

त्रिवेंद्र रावत ने संसद में उठाया था अवैध खनन का मुद्दा

बीजेपी सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने संसद में उत्तराखंड में धड़ल्ले से हो रहे अवैध खनन पर चिंता जाहिर की थी. उन्होंने संसद में कहा था कि ‘मैं आज बहुत ही संवेदनशील और गंभीर विषय पर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं. विषय उत्तराखंड के देहरादून, हरिद्वार, उधमसिंह नगर और नैनीताल जिलों में रात के समय अवैध रूप से संचालित अवैध खनन ट्रकों से संबंधित है’.

त्रिवेंद्र रावत ने कहा था कि सरकार और प्रशासन के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद खनन माफिया अवैध ट्रकों का संचालन खुलेआम कर रहे हैं. इन ट्रकों में भारी मात्रा में ओवरलोडिंग की जाती हैं. बिना किसी वैध अनुमति के खननों को परिवहन किया जाता है. इन अवैध गतिविधियों के कारण प्रदेश की सड़कों और पुलों को काफी नुकसान पहुंच रहा है.

बीजेपी सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने केंद्र और राज्य सरकार से अवैध खनन को रोकने के लिए एक विशेष टास्क फोर्स का गठन करने का आग्रह किया था. साथ ही कहा था कि रात के समय ट्रकों के संचालन पर पूरी तरह से रोक लगाई जाए और सख्ती से इसकी निगरानी की जाए.

सरकार का जवाब

हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत के बयान पर राज्य सरकार ने पलटवार करते हुए सफाई दी. खनन सचिव ने दावा किया कि सरकार अवैध खनन को रोकने के लिए लगातार कदम उठा रही है और इस वित्तीय वर्ष में रिकॉर्ड 1100 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ है. उनका कहना है कि सरकार ने टास्क फोर्स बनाई है और तकनीकी निगरानी बढ़ाकर इस समस्या पर काफी हद तक काबू पा लिया है. हालांकि सचिव के इस बयान के बाद मामला और बिगड़ गया और जातिवाद तक पहुंच गया.

पहले भी त्रिवेंद्र रावत पार्टी को कर चुके हैं असहज

बता ये पहला मौका नहीं है जब त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पार्टी को असहज करने का काम किया है. सीएम पद से हटाए जाने के बाद से वो इस तरह की बयानबाजी कर अपनी ही पार्टी के लिए असहज स्थिति पैदा कर चुके हैं. नवंबर 2022 में उन्होंने देहरादून स्मार्ट सिटी परियोजना पर सवाल उठाते हुए कहा था कि हम कभी स्मार्ट सिटी की लिस्ट में 99वें स्थान पर थे. पिछले तीन साल में हम नौवें स्थान पर पहुंच गए. लेकिन आज जिस तरह की आवाजें उठ रही हैं, ऐसा लगता है कि हम स्मार्ट सिटी के सपने से दूर जा रहे हैं.

सीएम धामी से क्यों नाराज हैं पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत

उत्तराखंड में भूमि सुधार कानून को लेकर पहले भी विवाद दो चुका है. बता दें 2018 में त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने जमीन खरीद की सीमा 12.5 एकड़ से बढ़ाकर 30 एकड़ कर दी थी, जिससे राज्य में काफी विरोध हुआ था. 2022 के चुनाव में धामी सरकार ने इस कानून को बदलने का वादा किया था और फरवरी 2025 में उन्होंने रावत के फैसले को पलट दिया. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स कि माने तो धामी के इस कदम के बाद से ही रावत नाराज थे और सही मौके की तलाश में थे. अब अवैध खनन का मुद्दा उनके लिए सरकार पर निशाना साधने का नया जरिया बन गया है.

पीएम मोदी कई बार उत्तराखंड दौरे के दौरान मुख्यमंत्री धामी की पीठ थपथपा चुके हैं. इसे साथ ही अपने संबोधन में ऊर्जावान मुख्यमंत्री और छोटा भाई कहकर संबोधित कर चुके हैं. भाषण के बाद उनकी पीठ थपथपाकर पीएम मोदी ने यह संकेत भी दिया कि धामी को केंद्रीय नेतृत्व का पूरा समर्थन प्राप्त है. हाल ही के दिनों में धामी ने यूसीसी और हिंदुत्व के एजेंडे पर जिस तरह मुखर रुख अपनाया है, उसे पार्टी हाईकमान से मजबूती मिली है. त्रिवेंद्र सिंह रावत की नाराजगी का एक कारण यह भी माना जा रहा है कि वह खुद सीएम पद पर दोबारा नजर गड़ाए हुए हैं. धामी की लगातार बढ़ती पकड़ ने उनके लिए रास्ते और मुश्किल कर दिए हैं.

ठाकुर-ब्राह्मण समीकरण के साथ ही गढ़वाल-कुमाऊं भी है बड़ा फैक्टर

उत्तराखंड की राजनीति में ठाकुर-ब्राह्मण समीकरण के साथ-साथ गढ़वाल-कुमाऊं का क्षेत्रीय विभाजन भी बड़ा फैक्टर रहा है. आमतौर पर कांग्रेस का नेतृत्व कुमाऊं क्षेत्र से आता रहा है, जबकि बीजेपी के अधिकतर मुख्यमंत्री गढ़वाल से रहे हैं. लेकिन इस बार बीजेपी ने संतुलन साधते हुए कुमाऊं के पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाया. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक गढ़वाली होने के नाते त्रिवेंद्र सिंह रावत के मन में यह टीस रही होगी कि सीएम पद पर उनकी दावेदारी ज्यादा मजबूत थी. रावत के विरोधी मानते हैं कि उनकी नजर दोबारा सीएम बनने पर है, इसलिए वे धामी सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं.

Tags: CM Dhamiconflict between pushkar singh dhami or trivendra singh rawattrivendra rawat or pushkar singh dhami conflictTRIVENDRA SINGH RAWAT NEWSUttarakhand NewsWhy is Haridwar MP Trivendra Singh Rawat angry with CM Dhami?
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