आज भी राज्य में पहाड़ी क्षेत्रों में ऐसे गांव है , जो विकास के लिए तरस गए है. न सड़क न पानी लोग बस अपना गुजारा कर रहे है . सरकार विकास के दावे तो करती है, लेकिन धरातल पर काम कुछ नहीं . हाल ही में पहाड़ से एक ऐसा मामला सामने आया जिसने सरकार की पोल खोल कर रख दी। पिथौरागढ़ में एक बीमार महिला ने सड़क न होने से सही समय पर अस्पताल न पहुंच पाने के कारण दम तोड़ दिया।
अविकास ने ले ली महिला कि जान
यहां गांव तक सड़क ना होने के कारण एक बीमार महिला को अपनी जान गंवानी पड़ी.मिली जानकारी के अनुसार 10 जनवरी की शाम को दारमा गांव की लछिमा देवी (58) दिल का दौरा पड़ने से घर में बेहोश हो गईं। रात का समय होने के ग्रामीण उन्हें अस्पताल नहीं ले गए क्योंकि गांव से सड़क काफी दूर थी। ग्रामीणों ने सुबह होने का इंतजार किया। अगले दिन सुबह महिला को डोली के सहारे बदहाल पैदल रास्ते से ले जाकर सड़क तक लाए. जिसके बाद उन्हें 100 किमी दूर जिला अस्पताल पहुंचाया गया। यहां से लक्षिमा देवी को हायर सेंटर बरेली रेफर कर दिया गया। वही बरेली ले जाते समय महिला ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया।
वीर चक्र विजेता और स्वतंत्रता सेनानियों का है गांव
हैरानी की बात यह है ये कोई आम गांव नहीं है। ये गांव वीर चक्र विजेता और स्वतंत्रता सेनानियों का गांव हैं। इस गांव के नौ लोगों ने स्वतंत्रता संग्राम में अहम योगदान दिया है। इसके साथ ही इसी गांव का एक जवान वीर चक्र विजेता भी है। लेकिन इसके बाद भी गांव तक सिर्फ आठ किमी सड़क ना पहुंच पाना दुर्भाग्य की बात है।