देहरादून। उत्तराखंड की चार धाम यात्रा सुपरहिट साबित हो रही है। देश दुनिया से रिकॉर्ड संख्या में सैलानी बद्री केदार के दर्शन को पहुंच रहे हैं। हालत यह है कि अब सरकार को कहना पड़ रहा है कि उन्हें यात्रा धीमी करनी पड़ेगी , क्योंकि मौसम और रास्तों की मार ने तीर्थ यात्रियों को परेशान कर दिया है। जिसकी वजह से सरकार के सामने भी तरह तरह की चुनौतियां सामने आने लगी है।
इन्हीं में अब एक और चुनौती का इजाफा और हो गया है। देहरादून में वन्य जीवो से जुड़ी संस्था नवोत्थान सामने आयी है और सोनप्रयाग से केदारनाथ के बीच चलने वाले घोड़े और खच्चरों की अचानक हो रही मौत पर सवाल खड़े किये हैं। देहरादून में इस सोसाइटी ने चार धाम रूट पर हताहत हो रहे घोड़े और खच्चरों के मामले में अब सरकार से जवाब मांगते हुए तत्काल प्रभावी कदम उठाने की मांग की है।
नवोत्थान सोसाइटी ने आज प्रदेश सरकार और हेल्थ डिपार्टमेंट से सवाल पूछते हुए कहा है कि जब से चार धाम यात्रा शुरू हुई है यात्रा मार्गों पर भारी संख्या में घोड़े और खच्चर सेवाएं दे रहे हैं। यात्रा रुट पर सफर के दौरान इन जानवरों का जमकर शोषण किया जा रहा है। ऐसे में अब पशु प्रेमियों को आवाज उठानी पड़ रही है। संस्था ने कहा कि गौरीकुंड से केदारनाथ का रास्ता 15 से 19 किलोमीटर का है जिसमें ढाई हजार का किराया यात्रियों से वसूला जाता है। रुद्रप्रयाग के विभागीय अधिकारी का हवाला देते हुए संस्था ने कहा है कि लगभग 8500 खच्चर घोड़े इस वक्त यात्रा मार्ग पर यात्रियों के लिए सेवाएं दे रहे हैं। जबकि सरकारी आंकड़े में केवल 2300 घोड़े खच्चर ही रजिस्टर्ड किए गए हैं। हैरानी की बात है कि विभाग ने केवल 6 घोड़े मरने की बात कही हैं।
संस्था ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा है कि ये बिल्कुल गलत सरकारी आंकड़े हैं। संस्था ने कहा कि सरकार घोड़े और खच्चरों के मरने की वजह बीमारी , पैरों का कमजोर होना , घुटने का चोटिल होना और ज्यादा उम्र के घोड़े खच्चर होना बताया गया है। ऐसे में अब जिम्मेदार विभाग को जवाब देना चाहिए कि यात्रा से पहले क्यों नहीं पूरी तरह से इन पशुओं का परीक्षण किया गया ? संस्था ने सवाल खड़े करते हुए कहा है कि पशुओं के हरे चारे का प्रबंधन सरकार ने क्यों नहीं किया ? इनकी टाइम लिमिट सेट होनी चाहिए थी , हर 4 किलोमीटर के बाद गर्म पानी उपलब्ध कराया जाना चाहिए था , हर घोड़े के गले में एक आईडी कार्ड भी होना चाहिए था , जिससे यात्री की लोकेशन को ट्रेस किया जा सके।
इसके साथ ही साथ घोड़े और खच्चरों को हर 15 दिन के बाद रूटीन चेकअप भी कराया जाना चाहिए। संस्था ने सुझाव देते हुए कहा कि इन पशुओं के मालिकों के पास जानवर का लाइसेंस होना और मेडिकल सर्टिफिकेट भी जरूर होना चाहिए। अगर इस बीच लापरवाही से जानवर की मृत्यु हो जाती है तो लाइसेंस कैंसिल करके उन मालिकों पर एक भारी-भरकम जुर्माना देना चाहिए , ताकि जानवरों पर हो रहे इस तरह के उत्पीड़न की कार्यवाही पर रोक लगाई जा सके।
सोसायटी की अध्यक्ष नलिनी तनेजा ने बताया कि इन जानवरों को हरा चारा नही मिल रहा है | इनकी मृत्यु का प्रमुख कारण ग्लेशियर के बर्फ का पानी पीना भी है | नलिनी तनेजा ने मांग करते हुए कहा कि इन घोड़ो और खच्चरों का रूटीन हेल्थ जाँच हर 15 दिन में होनी चाहिये , एक खच्चर और घोड़े का ट्रैक पर 16 किलोमीटर आना जाना बंद होना चाहिए |