Retail
Advertisement
  • होम
  • Uttarakhand
  • National
  • Political
  • Business
  • Education
  • Entertainment
  • Sports
  • Religion
  • Article
  • About
  • Contact
No Result
View All Result
News 24 India
No Result
View All Result

देवीधुरा के ऐतिहासिक बग्वाल मेले में दिखा कोरोना का असर

by news24desk
August 22, 2021
in Banking, Religion, Uttarakhand
Reading Time: 1 min read
0
Share on Whats AppShare on FacebookShare on Twitter

पत्थरों के बजाय फल और फूलों से केवल सात मिनट खेली गई बग्वाल

चंपावत। रक्षा बंधन के मौके पर चंपावत के देवीधुरा में खेली जाने वाली ऐतिहासिक बग्वाल (पत्थर युद्ध) इस बार मात्र सात मिनट तक खेली गयी। इस बार बग्वाल पर कोरोना महामारी की असर साफ साफ दिखायी दिया। बहुत कम योद्धा देवीधुरा के ऐतिहासिक खोलीखांड दूबचौड़ में रण में उतरे। इस बार बग्वाल की खासियत रही कि पत्थरों के बजाय फल और फूलों से खेली गयी।

हर साल की तरह इस बार भी गहड़वाल, चमियाल, बालिग व लमगड़िया खाम के रणबांकुरों में बग्वाल खेलने को लेकर काफी उत्साह दिखायी दिया लेकिन पुलिस व प्रशाासन की कड़ी चौकसी में दोनों ओर से मात्र नाम मात्र के रणबांकुरों को ही रण में उतारा गया। रण शुरू होने से पहले गहड़वाल खाम के रणबांकुरों ने मंदिर की परिक्रमा की। सभी खामों के रणबांकुरों की ओर से मां बाराही की पूजा अर्चना के बाद पुजारी के जयघोष के साथ बग्वाल शुरू हुई।
रणबांकुरों ने पत्थर के बजाय एक दूसरे पर फल व फूलों की बरसात की। ठीक सात मिनट के बाद मंदिर के पुजारी ने शंख बजाकर बग्वाल रोकने के आदेश दिये। इसके बाद दोनों पक्ष आपस में गले मिले। पुलिस-प्रशाासन ने भीड़ और कोविड महामारी को देखते हुए काफी चाक चौबंद व्यवस्था की थी।

यहां बता दें कि रक्षाबंधन के मौके पर जब पूरा देश भाई बहिन के प्यार में डूबा रहता है वहीं इस दिन उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के देवीधुरा में बग्वाल खेलने की परंपरा है। चार खामों के वीरों के बीच बग्वाल खेली जाती है। पहले पत्थरों से जमकर बग्वाल खेली जाती थी लेकिन उच्च न्यायालय के आदेश पर यहां फल-फूलों से बग्वाल खेली जाने लगी है।

यह भी मान्यता है कि जब तक एक आदमी के बराबर खून न गिर जाये। तब तक बग्वाल खेलने की परंपरा है। मंदिर के पुजारी के निर्देश पर ही बग्वाल शुरू और बंद होती है। बग्वाली वीरों को इस दौरान पवित्रता का विशेष ध्यान रखना पड़ता है।
चार खाम के लोग अपनी आराध्य मां बाराही को प्रसन्न करने के लिये बग्वाल खेलते हैं। प्रचलित मान्यताओं के अनुसार मां बाराही को खुश करने के लिये पहले चार खामों की जनता की ओर से हर साल नरबलि दी जाती थी। एक बार एक वृद्धा के घर में उसका पौत्र ही अकेला बच गया। इसके बाद वृद्धा ने मां बाराही की तपस्या की और यहीं से बग्वाल की परंपरा शुरू हुई। इस मौके पर देश के अन्य राज्यों से भी हजारों लोग देवीधुरा पहुंचते हैं और बग्वाल के साक्षी बनते हैं।

Tags: ChampawatHistorical Bagwal
SendShareTweet

Related Posts

heavy-rain-in-uttarakhand weather today

Uttarakhand Weather: उत्तराखंड में मौसम का यू-टर्न, तेज हवाओं के साथ बारिश के आसार, इतने दिन का ऑरेंज अलर्ट जारी!

May 2, 2025
rekha arya

38th National Games : खिलाड़ियों ने किया था डोप ड्रग का इस्तेमाल!, प्रभावित हो सकती है पदक तालिका

May 1, 2025

शादी के बंधन में बंधे UK07 Rider Anurag Dobhal, लॉन्ग टाइम गर्लफ्रेंड से रचाई शादी, देखे तस्वीरें

May 1, 2025

हज यात्रा 2025 : उत्तराखंड के हज यात्रियों के लिए शुरू हुआ टीकाकरण अभियान, जानिए कब और कहा लगेंगे वैक्सीनेशन कैंप

May 2, 2025
hacker

उत्तराखंड से बड़ी खबर : पाकिस्तानी हैकर्स ने की आर्मी पब्लिक स्कूल की वेबसाइट हैक, लगाया पाकिस्तान का झंडा

April 29, 2025
सीएम धामी ने की केंद्रीय जल शक्ति मंत्री से मुलाकात

दिल्ली दौरे पर सीएम धामी : केंद्रीय जल शक्ति मंत्री से की मुलाकात, रखी राज्य की प्राथमिकताएं

April 29, 2025
Next Post
यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के निधन पर पूर्व विधायक ओम गोपाल रावत सहित कईयों ने जताया शोक

यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के निधन पर पूर्व विधायक ओम गोपाल रावत सहित कईयों ने जताया शोक

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

  • About
  • advertise
  • Privacy & Policy
  • Contact Us

© 2025 News24India.org

No Result
View All Result
  • होम
  • Uttarakhand
  • National
  • Political
  • Business
  • Education
  • Entertainment
  • Sports
  • Religion
  • Article
  • About
  • Contact

© 2025 News24India.org