उत्तराखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र बुधवार शाम अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया है. जिसे सात दिनों के लिए प्रस्तावित किया गया था वो महज दो दिनों में ही सिमट गया. जबकि सदन 5 दिसंबर तक प्रस्तावित था. देर शाम बुधवार विस के प्रभारी सचिव हेम पंत ने सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होने की अधिसूचना भी जारी कर दी.
मिली जानकारी के अनुसार दूसरे दिन के सत्र में मात्र सवा घंटे में 14 बिल को बिना चर्चा के पास कर दिया गया. जिसमें महिलाओं को राजकीय सेवा में 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण और राज्य में जबरन धर्मांतरण पर सख्ती से अंकुश वाले बिल भी शामिल थे. जबकि दो विधेयक वापस लौट गए. संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने सारे बिलों को पारित करने का प्रस्ताव रखा, जिसे सदन ने ध्वनिमत से पारित किया.
इस सत्र को विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने विधायी कामकाज के दृष्टिकोण से उपलब्धिपूर्ण बताया, उन्होंने कहा कि सदन टैक्स देने वालों के पैसे से चलता है. जब मेरे पास कोई भी बिजनेस नहीं होगा तो मेरे लिए सत्र चलाना बेमानी होगा. जो काम मेरे पास आया, उसे दो दिन पूरा कर दिया गया. किसी का राजनीतिक एजेंडा हो सकता है. केवल उसके लिए सत्र चलाऊं, यह उचित नहीं है. पैसा मुश्किल से कमाया जाता है
वहीं कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने सरकार पर आरोप लगाया कि विपक्ष के सवालों से घिरकर सीएम धामी रणछोड़दास बन गए उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की कार्य संचालन समिति ने एक वर्ष में सत्र चलने की कम से कम 60 दिन की अवधि निर्धारित की थी. इसे उत्तराखंड का दुर्भाग्य ही कहा जा सकता है कि किसी वित्तीय वर्ष में 15 से 18 दिन भी सत्र बमुश्किल चल पाता है. हर बार सरकार सत्र को ज्यादा दिन चलाने से बच रही है. क्योंकि विपक्ष के सवालों का जवाब सरकार के पास नहीं है, सरकार मुद्दों पर चर्चा नहीं करना चाहती है. ये सरकार की नाकामयाबी है.